February 20, 2025

शहर के हर्षवर्धन चतुर्वेदी ने शेक्सपियर के हैमलेट में निभाया भावविभोर कर देने वाला किरदार

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Faridabad News, 11 Nov 2019 : दुनिया के जाने माने प्रसिद्व लेखक विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखे गये नाटक हैमलेट में जे सी बाॅस वाईएमसीए विश्वविद्यालय से एम ए जर्नलिज्म कर रहे विद्यार्थी हर्षवर्धन चतुर्वेदी ने होरेशियो का किरदार निभाकर सभी का मन जीत लिया, हैमलेट का मंचन नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित एलटीजी सभागार में किया गया, इस त्रासदी के नाटक को मेडवन थियेटर कंपनी ने प्रस्तुत किया। जिसके निर्देशक एवं निर्माता सैफ अंसारी रहे जिन्होंने हैमलेट का मुख्य किरदार निभाया। जिनका पहला निर्देशन भी था, विलियम शेक्सपियर द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया ये नाटक हिंदी में लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया।

होरेशियो का किरदार निभाने वाले फरीदाबाद के हर्षवर्धन चतुर्वेदी पिछले 5 सालों से थियेटर कर रहे हैं, इससे पहले ब्लडी बाॅम्बे, सूरज का सातवां घोड़ा, शिफ़ा द हीलिंग, रक्त कल्यांण और एक और द्रोणाचार्य जैसे प्रसिद्ध नाटकों में कई किरदार निभा चुके हैं। फरीदाबाद से हर्षवर्धन के साथ मनीष शर्मा भी पोलोनियस के किरदार में नज़र आये। मनीष शर्मा श्री राम सेंटर की रैप्ट्ररी में कार्यरत हैं। इन्होंने तुग़लक, प्रेम कबूतर, अग्नि और बर्खा जैसे बहुचर्चित नाटकों में अभिनय किया हैं।

निर्देशक एवं निर्माता सैफ अंसारी ने बताया कि उनकी यह पहला निर्देशन था जो कि बहुत अच्छा रहा उन्होंने लगातार हैलेट के 3 शो किए जिसमें तीनों शो ही हाउसफुल रहे। वहीं थियेटर देखने पहुंचे रंगमंच के प्रेमियों ने नाटक में कलाकारों के अभिनय को सराहते हुए कहा कि उन्हें नाटक उन्हें बहुत अच्छा लगा, पीवीआर में फिल्म देखना और थियेटर में नाटक देखना बहुत अलग है, उन्हें लगता है कि बिना रीटेक नाटक में परफोर्मेंस करना बहुत अच्छी कला है।

त्रासदी के प्रसिद्ध हैमलेट नाटक में मंच पर निर्देशक एवं निर्माता सैफ अंसारी, आशुतोष सिंह राठौड़, वैभवी जांगिड़, मनीष शर्मा, करिश्मा मान, आदित्या शर्मा, राहुल जांगड़ा, विपिन कुमार, आलोक उमेश, आशीष शर्मा, दीक्षा, देवराज और हर्षवर्धन चतुर्वेदी सहित तमाम कालाकारों ने अपने अपने अभिनय से सभी को अश्चर्यचकित कर दिया।

आपको बता दें कि शेक्सपियर का एक दुरूखांत नाटक हैमलेट है, जिसका अभिनय सर्वप्रथम सन् 1603 ई. तथा प्रकाशन सन् 1604 ई. के समय हुआ था। सर्वप्रथम इसका मंचन 1609 में किया गया।

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