फरीदाबाद-गुरुग्राम जिला में 50 एकड़ जमीन में साइंस सिटी बनाएगी हरियाणा सरकार : मुख्यमंत्री

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फरीदाबाद के थिस्टी बायोटेक संस्थान में 9 वें भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव-2023 के समापन अवसर पर किया संबोधित

– कहा, विज्ञान महोत्सव का उद्देश्य संपन्न भारत की प्रगति के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में रचनात्मकता को बढ़ावा देना : मनोहर लाल

– हरियाणा प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्प

– हरियाणा विज्ञान रत्न पुरस्कार की राशि को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये किया,  छात्रवृत्ति में भी की भारी बढ़ोतरी : मुख्यमंत्री

फरीदाबाद, 20 जनवरी- मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्प है। नए वैज्ञानिक शोध नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार फरीदाबाद या गुरुग्राम जिला में से एक में 50 एकड़ में साइंस सिटी की स्थापना करेगी। इसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल शनिवार को थिस्टी बायोटेक संस्थान में 9 वें भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा आज इस 9वें विज्ञान महोत्सव की मेजबानी करने का अवसर हरियाणा को मिला है। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि विज्ञान महोत्सव में छात्र, शिक्षक, शोधकर्ता, वैज्ञानिक, उद्यमी, शिक्षाविद, स्टार्टअप तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भागीदारी की है। ये सभी भागीदार बधाई के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि यह विज्ञान महोत्सव विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को उजागर करने तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े विभिन्न हितधारकों के बीच ज्ञान के अदान-प्रदान व चिंतन-मनन के लिए एक मंच उपलब्ध करवाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज्ञान के प्रति समर्पण को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि  जय-जवान, जय-किसान, जय-विज्ञान और जय-अनुसंधान का मंत्र देकर भारत को आगे बढ़ने के लिए नई दिशा प्रदान की है।

भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव देश का सबसे बड़ा विज्ञान महोत्सव है। इस विज्ञान महोत्सव का थीम ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी : पब्लिक आउटरीच इन अमृत काल’ बड़ा ही प्रासंगिक व समसामयिक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2047 तक भारत को एक गौरवशाली, वैभवशाली, शक्तिशाली, समृद्ध व आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया हुआ है। इस संकल्प को पूरा करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

उन्होंने विज्ञान को प्रयोगशाला से बाहर निकालकर जमीनी स्तर तक पहुंचने के तरीकों को ढूंढने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज स्थानीय समस्याओं पर शोध करके  उनका समाधान करने की आवश्यकता है। इस तरह के विज्ञान उत्सव खोजी मन के विजन को साकार करते हैं और साथ ही युवाओं में एक नई ऊर्जा, एक नये दृष्टिकोण का संचार करते हुए उन्हें राष्ट्र निर्माण के कार्यों में अग्रसर होने के लिए प्रेरित भी करते हैं।

महोत्सव का उद्देश्य संपन्न भारत की प्रगति के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में रचनात्मकता को बढ़ावा देना
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि यह  महोत्सव देश का सबसे बड़ा विज्ञान महोत्सव है। इस महोत्सव का उद्देश्य संपन्न भारत की प्रगति के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में रचनात्मकता को बढ़ावा देना तथा व्यापक स्तर पर लोगों को वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना है। इसके अलावा, यह विभिन्न आयोजनों के माध्यम से सभी हितधारकों के बीच तालमेल के लिए एक मंच प्रदान करता है।  चार दिनों तक चले इस महोत्सव में 17 विषयों पर वर्कशॉप, संगोष्ठियों, विज्ञान प्रतियोगिताओं, प्रौद्योगिकी शो, प्रदर्शनियों आदि का आयोजन किया गया है। भारत प्राचीन काल से ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। भारत को मानव सभ्यता की ही नहीं, विज्ञान की भी जन्मस्थली कहा जाता है। हमने बीजगणित, जीरो, पाई का मूल्य और शून्य व संख्या प्रणाली का आविष्कार करके वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई । आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक महान सर्जन और वैज्ञानिक थे। आचार्य कणद व वराहमिहिर उच्च कोटि के खगोलशास्त्री थे। भास्कराचार्य आधुनिक अल्जेब्रा के जनक थे। विज्ञान में भारतीय स्वर्णिम इतिहास के दिग्गजों में सेठ होमी जहांगीर भाभा, जगदीश चन्द्र बसु, श्रीनिवास रामानुजन, शांति स्वरूप भटनागर आदि कितने नाम गिना सकता हूं  जिनका अमूल्य योगदान विज्ञान के क्षेत्र में रहा है। आधुनिक युग में भूतपूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का नाम भी अग्रणी है।

यह हमारे वैज्ञानिकों की अपार क्षमता का ही परिणाम है कि भारत कोरोना की दो वैक्सीन विकसित करने में सफल रहा। विदेशों को भी वैक्सीन दी गई। एक समय था, जब भारत के उपग्रह किसी और देश से लांच करवाने पड़ते थे। आज हम न सिर्फ अपने, बल्कि अन्य देशों के भी उपग्रह लांच कर रहे हैं। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना है। इसके अलावा, हमारा यान आदित्य L-1 सूर्य की कक्षा में स्थापित होकर सूर्य का अध्ययन कर रहा है। इससे हर भारतवासी गौरवान्वित है।

उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष विक्रम साराभाई ने संचार और मौसम की भविष्यवाणी के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की कल्पना की। परिणामस्वरूप भारत जल्द ही अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का एक सक्षम विकासकर्ता बन गया और हमने सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (साइट) की शुरुआत की। भारत में विज्ञान के क्षेत्र में स्टार्टअप कार्यक्रम की लहर निरंतर आज की युवा पीढ़ी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की ओर प्रेरित कर रही है। आज के नये भारत में युवा पीढ़ी के लिए शोध और नवाचार के क्षेत्र में द्वार खुल रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि आज कई राष्ट्रीय मिशन जैसे कि स्पेस मिशन, नेशनल सुपर कंप्यूटिंग,सेमीकंडक्टर, मिशन, हाइड्रोजन, ड्रोन टेक्नोलॉजी, डिजिटल वर्चुअल सिस्टम, ऊर्जा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, उद्योग, कृषि आदि ऐसे कई मिशन पर तेजी से काम चल रहा है।

हर जिले में की जा रही है विज्ञान क्लब की स्थापना
मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए हर जिले के 10 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान क्लबों की स्थापना की जा रही है। ये विज्ञान क्लब युवा छात्रों के बीच वैज्ञानिक सोच एवं जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मेधावी छात्रों की विज्ञान में रुचि को बढ़ाने के लिए एक्सपोज़ विजिट आयोजित की जाती हैं। इनमें छात्रों को देश में स्थित विभिन्न विज्ञान केन्द्रों व साइंस सिटी में ले जाकर उन्हें विज्ञान के अनुसंधानों से परिचित कराया जाता है। प्रदेश के मेधावी वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें हरियाणा विज्ञान रत्न और युवा विज्ञान रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। गत वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित समारोह में वर्ष 2019, 2020 व 2021 के लिए 11 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया था। ‘हरियाणा विज्ञान रत्न’ पुरस्कार की राशि को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये किया गया है।

प्रदेश के छात्रों में विज्ञान की शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा भी विज्ञान विषयों को पढ़ने वाले छात्रों के लिए ग्यारहवीं कक्षा से लेकर शोध (पीएचडी) स्तर के छात्रों को छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। 11वीं व 12वीं कक्षा के लिए 1500 रुपये प्रतिमाह, बी.एस.सी के छात्रों के लिए 4,000 रुपये प्रतिमाह, एम.एस.सी के छात्रों के लिए 6,000 रुपये प्रतिमाह तथा पीएचडी के छात्रों के लिए 18,000 से 21,000 रुपये प्रतिमाह तक की छात्रवृत्तियां दी जाती हैं।

प्रदेश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए अलग से 6 सरकारी विश्वविद्यालय स्थापित किये गये हैं। अन्य विश्वविद्यालयों में भी विज्ञान की शिक्षा प्रदान की जा रही है। इनके अलावा, जिला पलवल के गांव दुधोला में विश्वकर्मा कौशल विकास विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव उन लोगों के लिए एक आउटरीच उत्सव है, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार से लाभान्वित हो सकते हैं।
इस अवसर पर प्रदेश के उच्चतर शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में बड़खल से विधायक सीमा त्रिखा, फरीदाबाद से विधायक नरेंद्र गुप्ता सहित कई गणमान्य तथा बड़ी संख्या में स्कॉलर व छात्र उपस्थित थे।

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