फरीदाबाद, 7 मार्च, 2023: नवगठित हरियाणा स्टेट चैप्टर- टेलीमेडिसिन सोसाइटी ऑफ इंडिया (टीएसआई) का उद्घाटन अमृता अस्पताल, फरीदाबाद में किया गया। अमृता अस्पताल के एडमिनिस्ट्रेटिव डायरेक्टर स्वामी निजामृतानंद पुरी ने दीप प्रज्वलित कर परियोजना का उद्घाटन किया।
हरियाणा चैप्टर का उद्घाटन करते हुए स्वामी निजामृतानंद पुरी जी ने कहा, “हमारा देश एक ऐसा देश है, जहां अधिकांश लोगों के पास उचित चिकित्सा उपलब्ध नहीं है। हालांकि इसके कई कारण हैं, लेकिन मुख्य कारणों में से एक भौगोलिक कारक है। हरियाणा चैप्टर लॉन्च करने से इन बाधाओं को पार करने में मदद मिलेगी और उन्नत चिकित्सा से वंचित लोगों की सहायता करने में मदद मिलेगी।
टेलीमेडिसिन नई तकनीक की सहायता से दूर जगहों पर डॉक्टर और मरीज के बीच संचार की सुविधा प्रदान करता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग से बीमारी का सटीक निदान करने में मदद मिलती है। इसमें फोन कॉल, वीडियो चैट, ईमेल, टेक्स्ट मैसेज और यहां तक कि दवाओं की ड्रोन द्वारा डिलीवरी भी शामिल है। टेलीमेडिसिन को अक्सर टेलीहेल्थ, डिजिटल मेडिसिन, ई-हेल्थ या एम-हेल्थ (मोबाइल हेल्थ) कहा जाता है। हरियाणा चैप्टर का उद्देश्य उन मरीजों तक पहुंचना है, जिन्हें टेलीमेडिसिन और क्लीनिक ऑन व्हील जैसी इकाईओं का उपयोग करके इन-हाउस तकनीकी टीमों के साथ चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
अमृता अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और नेशनल टेलीमेडिसिन सोसाइटी ऑफ इंडिया के वाइस- प्रेसिडेंट डॉ. प्रेम नायर ने कहा कि आपदाओं के दौरान जब संचार के सभी साधन बंद हो जाते हैं, तो सैटेलाइट, गोल्डन ऑवर कहे जाने वाले समय के भीतर रोगियों के साथ संपर्क स्थापित करते हैं।
जब सूनामी आई, तो टेलीमेडिसिन के माध्यम से लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना संभव हो पाया था। उन्होंने कहा, “टेलीमेडिसिन में हमारे लिए, यह प्रमुख मोड़ था। हम मोबाइल टेलीमेडिसिन में भी सफल रहे हैं। हम मोबाइल टेलीमेडिसिन इकाइयों के माध्यम से टेली-परामर्श और टेली-शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हैं।
हम टेलीमेडिसिन सोसाइटी ऑफ इंडिया के साथ काम करने के लिए तत्पर हैं और उत्तरी भारत के कुछ दूर-दराज के क्षेत्रों को पर्याप्त रूप से समर्थन देने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ने की शुरुआत करते हैं।”
नेशनल टेलीमेडिसिन सोसाइटी की अध्यक्ष और एम्स (AIIMS) ऋषिकेश की डायरेक्टर, प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा, “हरियाणा सरकार ने कई साल पहले दिल्ली-एनसीआर और चंडीगढ़ में टेलीमेडिसिन शुरू किया था। हरियाणा में टेलीमेडिसिन सेवाओं की शुरुआत को 25 साल पहले प्रो. बीडी गुप्ता ने 1997 में की थी। 2005 में, भारत के प्रधान मंत्री ने इसरो और शिक्षा और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ टेलीमेडिसिन की शुरुआत की। अमृता अस्पताल को इसरो और अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग करते हुए देखकर बहुत खुशी हो रही है।”
हेल्थकेयर डिजिटल डिवाइड को भरने की आवश्यकता पर जोर देते हुए हरियाणा टेलीमेडिसिन चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. पुनीत धर ने कहा, “देश में लगभग 1.3 बिलियन लोग हेल्थकेयर डिजिटल डिवाइड के दायरे में आते हैं। हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, और टेलीमेडिसिन इसमें मदद कर सकता है। स्मार्टफोन, मोबाइल कनेक्टिविटी और इंटरनेट की बढ़ता प्रयोग, इसे गेम चेंजर बनाती है। अमृता अस्पताल इस क्षेत्र में अग्रणी रहा है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हमारी टेलीमेडिसिन वैन इलाज मुहैया कराने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में जाएगी। जब
कोविड-19 से महामृ फैली थी, तो टेलेमेडिसिन महत्वपूर्ण साबित हुआ।” उन्होंने ऑनलाइन परामर्श और ड्रोन की सहायता से ऑनलाइन फ़ार्मेसी सेवाएं प्रदान करने वाले स्टार्ट-अप के मामले पर भी जोर दिया।
भारत में स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढांचा और चिकित्सा सुविधाएँ विकसित विश्व अर्थव्यवस्थाओं के जैसी नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां उचित चिकित्सा देखभाल नहीं है, ऐसे क्षेत्रों में खतरनाक बीमारी वाले रोगियों को अच्छी चिकित्सा देखभाल के लिए सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में रेफर सिस्टम की कमी है। उनके इलाज के लिए अस्पतालों, चिकित्सा केंद्रों और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे वाले संस्थानों की कमी के कारण इन बीमार लोगों के अस्तित्व को और खतरे में डालती है।
हरियाणा में टेलीमेडिसिन की शुरुआत सभी नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा को सुलभ बनाने की दिशा में पहला कदम है। इससे एक ऐसे भविष्य को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, जहां स्वास्थ्य सेवा अब एक विशेषाधिकार नहीं, बल्कि भारत के प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। यह चैप्टर उत्तरी भारत और देश के बाकी हिस्सों में सभी स्तरों पर स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकारी/अर्ध-सरकारी/निजी स्वास्थ्य सेवा के स्टेकहोल्डर्स को समर्पित है।
हालाँकि, भारत में टेलीमेडिसिन सेवाओं को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ का सामना करना पड़ेगा। बुनियादी ढांचे की कमी, सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी और टेलीमेडिसिन तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत में टेलीमेडिसिन सेवाओं के विस्तार में अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य संस्थान महत्वपूर्ण हो सकते हैं। वे न केवल टेलीमेडिसिन सेवाओं के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान कर सकते हैं बल्कि टेलीमेडिसिन तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान कर सकते हैं।
टीएसआई का हरियाणा चैप्टर भविष्य के डॉक्टरों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों/ संस्थानों के साथ काम करेगा। यह भारत में टीएसआई का 16वां स्टेट चैप्टर है। यह स्वास्थ्य देखभाल के सभी पहलुओं- निवारक, प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तरों में गुणवत्ता सुधार के लिए विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर काम करेगा। यह मिलेनियम विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हरियाणा चैप्टर के सचिव, ई- लर्निंग रिसर्च लैब्स (एईआरएल) के डायरेक्टर डॉ. कमल बिजलानी और कोषाध्यक्ष डॉ. तराना गुप्ता हैं। वर्तमान में इस सोसायटी में 45 सदस्य हैं।
टीएसआई के सचिव डॉ. मूर्ति रेमिला ने कार्यक्रम में टेलीमेडिसिन के बारे में विस्तार से बात की। अमृता हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड लिवर ट्रांसप्लांटेशन सीनियर कंसल्टेंट और क्लिनिकल लीड डॉ. आरती पवारिया, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. आशुतोष शर्मा और अमृता स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रिंसिपल डॉ. (कर्नल) बी.के. मिश्रा भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।