Faridabad News, 08 Feb 2020 : 34वें अंतराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में विरासत हेरिटेज विलेज द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में हरियाणा की बुणाई कला विशेष रूप से लोकप्रिय हो रही है। यहां पर हरियाणवी बुणाई कला के नमूने के रूप में चारपाईयां, खटौले एवं पीढ़े पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।
यह जानकारी मेला प्रवक्ता ने दी। उन्होंने बताया कि हरियाणवी लोकजीवन में बुणाई कला का विशेष महत्व है। पीढ़ों के अंदर रस्सी की गई बुणाई के डिजाईन यहां की लोक सांस्कृतिक परम्परा को दर्शाते हैं। इन डिजाईनों में लहरिया, पगड़ंडियां, चौपड़, फूल-पत्तियां आदि शामिल हैं। हरियाणवी बुणाई कला में मूंज, पटसन, सणी, सूत एवं रेशम की रस्सियों से बुणाई की जाने की परम्परा रही है। इस बुणाई कला के माध्यम से लोकजीवन में पीढ़ा, खटौला, खाट, खटिया, पिलंग, दहला आदि भरे जाते हैं। हरियाणवी लोक संस्कृति विशेषज्ञ प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणा के बुणाई कलाकार सैंकड़ों वर्षों से लोकजीवन में प्रचलित इस कला को जीवित रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि बुणाई कला में दुकड़ी, तिकड़ी, चौकड़ी, छकड़ी, अठकड़ी, नौकड़ी और बारहकड़ी, फूलों के विचार से चौफुली, नौफुली, सोलहफुली और चौंसठफुलिया, बेल अथवा लहर के विचार से खजूरी, गड़ेरिया, चौफडिय़ा, राजवान, सतरंजी, लहरिया और साँकरछल्ली तथा अन्य दृष्टि से पाखिया, जाफरी, चौफेरा, चौकिया, संकरफुलिया, चटाई, मकड़ी, गडिय़ा, निवाड़ी फूलपत्ती, चक्रव्यूह, चौपड़, छत्ता, किला, ताजमहल, पाखिया, जाफरी, चौफेरा, चौंकिया, शंकरफुलिया, चटाई, मकड़ी, गडिय़ा, निवाड़ी का प्रयोग किया जाता है। सूरजकुंड क्राफ्टमेले में विरासत-ए-हेरिटेज हरियाणा एवं अपणा घर के माध्यम से हरियाणवी लोककला एवं संस्कृति लाखों लोगों तक पहुंच रही है।