Faridabad News, 06 Feb 2020 : 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में विरासत हेरिटेज विलेज कुरुक्षेत्र की ओर से अपणा घर की साज-सज्जा की गई है, जिसमें हरियाणवी लोकजीवन एवं क्राफ्ट का प्रतीक फुलझड़ी सजाई गई है। यहां पर सजाई गई फुलझडिय़ां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। यह जानकारी मेला प्रवक्ता ने दी।
लोक जीवन में लोककला के अनेक स्वरूप देखने को मिलते हैं, जिनमें से फुलझड़ी भी एक है। फुलझड़ी वास्तव में एक ऐसा लोक कलात्मक स्वरूप है जिसमें विविध आयामी रंगों के फूलों की झड़ी लगी रहती है। संभवत: इसीलिए इस का नाम फुलझड़ी पड़ा है। फुलझड़ी लोक कला का ऐसा सतरंगी नमूना है जो ग्रामीण आंचल में महिलाओं की हस्तकला को प्रतिनिधित्व प्रदान करता है। लोक कला का यह नमूना लोक जीवन में महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने बताया कि लडक़ी की विदाई के समय हस्तकला के अनेक विषय वस्तुओं को लडक़ी की ससुराल एवं वर पक्ष के लोगों के लिए देने की परंपरा रही है। इसमें कोथली, पोथिया, गिन्डू, बोहिया, फुलझड़ी अनेक ऐसी विषय वस्तुएं रही हैं जो लोक में महिलाओं के हस्तकला को प्रदर्शित करती रही है। फुलझड़ी भी उसी तरह का एक हस्तकला का नमूना है। इसे बनाने के लिए सरकंडे का प्रयोग किया जाता है। सरकंडे को सबसे पहले वर्गाकार रूप में जोड़ लिया जाता है। जोडऩे के पश्चात जब इसकी आकृति पिंजरे जैसी बन जाती है तब उसके उपर रंगीन कपड़ों को तिरछे आकार में लपेटा जाता है। इसके साथ ही फुलझड़ी की सभी लडिय़ों के निचले हिस्से तथा आखिरी छोर पर बल्ब तथा रंगीन कपड़ों के बने हुए छोटे गोलाकार गिन्डू बांधने की परंपरा भी रही है। फुलझड़ी की सतरंगी आभा इतनी अनोखी तथा आकर्षक होती है कि वह सबको अपनी ओर आकर्षित करती है। नववधु दूसरी बार अपनी ससुराल में जाते समय हस्तकलाओं के अनेक नमूने अपने साथ लेकर जाती है, उसमें से फुलझड़ी भी एक है। फुलझड़ी को घर के दल्लान में शहतीर के बीच में लगे हुए कड़े पर बांधने की परंपरा है। कौन-सी बहु कितनी सुंदर फुलझड़ी लाती थी इसकी चर्चा आस-पड़ोस में भी अवश्य होती थी। इसके साथ ही फुलझड़ी नववधु के ज्येष्ठï द्वारा बांधी जाती है। नववधु की फुलझड़ी बांधने के बदले में ज्येष्ठ कुछ राशि के रूप में शगुन अर्थात् नेग भी नववधु से लेता है। इस प्रकार सूरजकुंड के मेले में हरियाणा के हस्तशिल्प को विरासत की ओर से बढ़ावा देने के लिए हरियाणवी फुलझडिय़ों का स्टॉल लगाया गया है।