Faridabad News : निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लगाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा गठित फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी (एफएफआरसी) को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने भंग कर दिया है। उच्च न्यायालय का कहना है कि यह कमेटी एक क्लर्क की तरह काम कर रही थी। उच्च न्यायालय ने यह आदेश मानव रचना पब्लिक स्कूल फरीदाबाद व दिल्ली पब्लिक स्कूल गुडग़ांव पैरन्टस् एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका नं 20323/2017 व जनहित याचिका नं 27659/2017 पर कार्यवाही करते हुये दिए है। इस दोनों स्कूलों की पैरेन्टस् ऐसासिएशन ने एफएफआरसी की कार्यशैली को लेकर याचिका दायर की थी जिसमें अपील की गई थी एफएफआरसी को भंग करके इसकी जगह रिटायर न्यायाधीश की अध्यक्षता में उच्च अधिकार प्राप्त कमेटी का गठन किया जाये।
उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुये यह आदेश पारित किये है। इसके साथ-साथ उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार एवं शिक्षा विभाग के अतिरिक्त सचिव को यह भी आदेश दि कि आगामी 31 दिसम्बर तक नई कमेटी का गठन किया जाए। हरियाणा सरकार द्वारा स्कूली शिक्षा विभाग की नियमावली 2003 में एक संशोधन करके नियम 158ए के तहत 28 जनवरी 2014 में डिवीजनल कमिश्नर की अध्यक्षता में एक एफएफआरसी (फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी) बनाई गई थी। जिसका काम निजी स्कूलों के ऑडिट, फीस एवं खातों की निगरानी करना था। लेकिन इस कमेटी ने अपने गठन के बाद से ही निजी स्कूलों के संबंध में आने वाले अभिभावकों की शिकायतों पर ढुलमुल रवैया अपनाया।
यही वजह रही कि 8 सितम्बर 2017 को मानव रचना पेरेंट्स ऐसासिएशन फरीदाबाद व दिल्ली पब्लिक स्कूल पैरेंटस एसोसिएशन गुडगांव के अभिभावकों ने एफएफआरसी की कार्यशैली व उसके ढुलमुल रवैये को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इस पर उच्च न्यायालय ने 15 दिसम्बर को फैसला सुनाते हुए हरियाणा अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा को आदेश दिए कि वे एफएफआरसी की जगह अन्य किसी कमेटी का गठन 31 दिसंबर तक करे जो निजी स्कूलों द्वारा बढ़ाई जाने वाली फीस की वैधता की जांच करे।
हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व जिला अध्यक्ष अधिवक्ता शिवकुमार जोशी ने कहा कि मंच तो यह पहले से ही कहता आया है कि एफएफआरसी कमेटी पूरी तरह एक क्लर्क के रूप में काम कर रही है और निजी स्कूलों के दबाव में है। मंच का लीगल सेल हाईकोर्ट के इस फैसले का अध्ययन कर रहा है। इसी के मद्देनजर मंच ने अपनी जिला कमेटी की एक बैठक रविवार 24 दिसंबर को बुलाई है जिसमें हाईकोर्ट के इस फैसले के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा।