Faridabad News : डी ए वी शताब्दी महाविद्यालय फरीदाबाद के संस्कृत विभाग द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह का प्रारम्भ आर्य समाज इकाई द्वारा यज्ञ के साथ हुआ। महाविद्यालय के सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों ने इस यज्ञ में भाग लिया। इस अवसर पर महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्या डॉ सविता भगत होली के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाये जाने वाले होली पर्व का प्राचीन नाम वासन्तिक नवसस्येष्टि है। यह उत्सव वसन्त ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है। प्राचीन काल से ही इस दिन एक दूसरे के चेहरे पर रंग लगाकर या जल में घुला रंग डालकर या परस्पर मिष्ठान्न का आदान प्रदान कर इस पर्व को मनाने की परम्परा चली आ रही है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन पुरानी शत्रुता,वैमनस्य तथा मतभेदों को भुलाकर नए मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों का आरम्भ किया जाता है। इसलिए हम सभी को भी ऐसी दुर्भावनाएं अपने मन से मिटा देनी चाहिये तथा सभी को मिलकर प्रेम से ही रहना चाहिए। आजकल बाजार में मिलने वाले रंगों में केमिकल और काँच इत्यादि मिला होने से ये रंग त्वचा को भी बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए फूलों की होली ही अत्युत्तम है। भारत युवाओं का देश है तथा युवापीढ़ी को अपनी बुद्धि को सत्य और असत्य तथा अच्छे और बुरे का निर्णय करने में समर्थ बनाना चाहिए। असत्य को त्याग कर सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। यही होली पर्व पर चिंतन करने का विषय हो सकता है। इस अवसर पर प्राचार्या डॉ सविता भगत ने सभी प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों को अपनी शुभ कामनायें दीं तथा सभी के साथ मिलकर फूलों की होली खेली। कार्यक्रम के संयोजक संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ अमित शर्मा ने गानों की प्रस्तुति दी। सभी ने मंच पर होली का समूह नृत्य प्रस्तुत कर सभी को झूमने को मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के अंत मे सभी को ऋषि प्रसाद वितरित किया गया।