हास्य कवियों ने सूरजकुंड शिल्प मेले में लगाया हास्य का तड़का

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Faridabad/ Surajkund News :  32वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्त शिल्प मेले की सात तारीख की सांस्कृतिक संध्या को सात बजे देश के सात विख्यात कवियों ने मेला चैपाल में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन के अंतर्गत हास्य व्यंग की अनूठी काव्य रचनाओं से सजाया। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीष बी.बी. प्रसून ने बतौर मुख्य अतिथि दीपशिखा प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। फरीदाबाद के जाने-माने हास्य कवि एवं व्यंगकार सरदार मनजीत सिंह ने इस कवि सम्मेलन का संचालन किया। सूरजकुण्ड, (फरीदाबाद) 8 फरवरी- 32वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्त शिल्प मेले की सात तारीख की सांस्कृतिक संध्या को सात बजे देश के सात विख्यात कवियों ने मेला चैपाल में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन के अंतर्गत हास्य व्यंग की अनूठी काव्य रचनाओं से सजाया। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीष बी.बी. प्रसून ने बतौर मुख्य अतिथि दीपशिखा  प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। फरीदाबाद के जाने-माने हास्य कवि एवं व्यंगकार सरदार मनजीत सिंह ने इस कवि सम्मेलन का संचालन किया।

इंदौर से पधारी कवियित्री डा. अनिता सोनी ने माॅ शारदे की वंदना ष्जय-जय हंस वाहिनी शारदे मैया, जय-जय वीणा पाणीष्श् जैसी मनमोहक व सुरीली वंदना गाकर कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके अलावा उन्होंने श्रृंगार रस से भरी अपनी काव्य रचना को गाकर पेश किया- कांटो पे चलके आज तेरा प्यार पा लिया, हर बूंद को लहू का सितारा बना लिया, पतझड मिला था मुझे लेकिन प्यार से उसे सावन बना लिया,खुद फूल बन गए और मुझे खुशबू बना लिया।

दिलीप शर्मा ने राजनीति पर कुछ इस तरह से कटाक्ष किया- हो गई मैली पुरखों की माटी, खून बहाया घाटी-घाटी,  कुर्सी की लाज बचाउं कैसे, जाके बापू से नजरे मिलाउं कैसे।लखनउ से पधारे डा0 सुरेष अवस्थी ने देष की व्यथा को कुछ यूं बयां किया- आजादी के अर्थ हमें कुछ इतने भा गए, सन 47 से चले थे, एके 47 तक आ गए,  महारानी लक्ष्मी बाई से चले थे, जलेबी बाई तक आ गए।

दिल्ली से आए जाने-माने हांस्य कवि अरूण जैमिनी ने ठेठ हरियाणवी चुटकुलों की फुलझडियों के बीच पुलिस अफसर और सिपाही के सेब खरीदने के संवाद को अपनी काव्य रचना के माध्यम से पेश किया- अरे राधेष्याम सेब खरीद के ल्या दे सौ ग्राम,  साहब सेब खरीदने जाने का मेरा क्या काम,सेब खरीदने तो खास ही जाता है, आम तो सेब का ठेला ही लगाता है।

डा. सुरेन्द्र दुबे ने पहले तो श्रोताओं को अपने चुटकुलों से खूब गुदगुदाया और फिर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की बढती वैष्विक अनूठी शान पर कुछ यूं फरमाया- बहुत फर्क पडा है मोदी जी के आने से,  आज अमेरिका भी फक्र समझता है उन्हें बुलाने से।

इस कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए फरीदाबाद के ही सुप्रसिद्ध कवि सरदार मंजीत सिंह ने एक बेटी की सुरक्षा बारे चिंतित पिता की पीडा का बखान अपनी काव्य शब्द लडियों से किया- है जलती आग सीने में जला रहता हूं अंदर से, मगर हूं बाप बेटी का डरा रहता हूं अंदर से,

अंत में देश के सुविख्यात हास्य कवि डा. सुरेन्द्र शर्मा ने पिता-पुत्र के प्रेम की भावना को अपनी कविता के सुन्दर शब्दों से कुछ इस अंदाज में पेश किया-मेरा सुख यह नहीं कि बेटा अमेरिका जाकर पांच लाख कमा रहा है, मेरा सुख इसमें है वह दिल्ली में ही रहकर बेशक 50 हजार कमा रहा है,पर शाम का खाना मेरे साथ बैठकर खा रहा है।

उक्त सभी विद्वान कवियो ने लोगों को देश के प्रति जिम्मेदारियों का एहसास कराते हुए हास्य व्यंग से जुडी अपनी खूबसूरत काव्य रचनाएं प्रस्तुत की और चुटकुलों की हास्य लडियों से उनका भरपूर मनोरंजन किया।  इस कवि सम्मेलन में मौजूद पृथला हलका के विधायक टेकचंद शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष अनीता शर्मा, भाजपा नेता नारायण शर्मा, मेला प्रषासक सुधांषु गौतम, मेला अधिकारी राजेष जून व समाज सेवी संस्था लोक उत्थान क्लब के संस्थापक अध्यक्ष आरपी हंस सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों तथा मेला चैपाल पर भारी संख्या में उपस्थित लोगों ने भरपूर आनंद लिया।

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