फरीदाबाद, 03 दिसम्बर। जिला एवं सत्र न्यायाधीश कम् चेयरमैन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण यशवीर सिंह राठौर के दिशा निर्देशानुसार अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन पर स्वामी देवी दयाल लॉ कॉलेज के साथ मिलकर ऑनलाइन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इस कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य जुडिशल ऑफिसर रिसर्चस प्रोफेशनल्स प्रैक्टिशनर लॉ स्टूडेंट्स व दूसरे सहयोगी संस्थान को एक साथ एक प्लेटफार्म पर लाकर अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन के बारे में चर्चा की गई। कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मंगलेश कुमार चौबे रहे।
उन्होंने अपने वक्तव्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मध्यस्थता केंद्र का डाटा बताते हुए मध्यस्था के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन का अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन सिविल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 89 में 5 तरीके मध्यस्था आर्बिट्रेशन जुडिशल सेटलमेंट कैंसिलेशन व लोक अदालत में दिए गए है।
जिनके द्वारा व्यक्ति अपने केसों का समाधान कोर्ट से बाहर कर सकता है। उन्होंने बताया कि शीघ्र न्याय पाने के लिए मध्यस्था एक अच्छा तरीका है। जिसके द्वारा दोनों पार्टियां अपने फैसलों का अपनी मर्जी से सेटलमेंट कर अपने केसों का हमेशा – हमेशा के लिए निपटारा कर सकती हैं। जिसमें दोनों पार्टियों की जीत होती है। जबकि कोर्ट द्वारा किया गया कोई भी फैसले के अंदर एक पार्टी जीतती है और एक पार्टी हारती है। हारने वाली पार्टी आगे अपील दर अपील करती है। जिससे न्याय पाने के लिए काफी समय का इंतजार करना पड़ता है। जबकि मध्यस्था द्वारा तुरंत फैसला होता है। जिससे पैसे व समय की बचत होती है। शीघ्र न्याय मिलता है।
सीजेएम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट तक इसकी कोई अपील नहीं की जा सकती। आपस में प्यार और भाईचारा बना रहता है। इसके साथ – साथ उन्होंने बताया कि मध्यस्था में होने वाली बातें कॉन्फिडेंशियल रखी जाती है तथा पार्टियों को सेटलमेंट के लिए मेडिएटर द्वारा फैसिलिटेट किया जाता है। यानि कि पार्टी का अपना खुद का फैसला होता है।
कॉलेज के प्रिंसिपल ने मुख्य अतिथि का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनका वक्तव्य हम सबके लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगा।