Faridabad News, 31 July 2019 : भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या वर्ष 2018 में 1.49 लाख बढ़ गई। इसमें भी हरियाणा उन राज्यों में रहा, जहां ऐसी दुर्घटनाओं में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई।
पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में हरियाणा में 11,238 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 5,118 लोग मारे गए और 1 लाख से अधिक घायल हो गए। 2017 में 11,258 दुर्घटनाओं में 5,120 लोग मारे गए थे और 10,339 घायल हुए थे, जबकि 2016 में सड़क दुर्घटनाओं में 5,024 लोगों की मृत्यु हुई थी।
फरीदाबाद में 2017 में 712 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 276 लोगों की जान गई, जबकि वर्ष 2016 में 624 सड़क हादसों में 212 लोग ही मारे गए थे।
इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट्स (आईआरटीई) के अध्यक्ष रोहित बलूजा ने कहा, “भारत समेत दुनिया भर में यातायात की भीड़, सुरक्षा, शहरों में जीने की क्षमता, पर्यावरण पर प्रभाव और यातायात परिचालन की प्रभावशीलता रोजमर्रा की चिंता हैं। यातायात इंजीनियरिंग, चालक एवं बेड़ा प्रबंधन, दुर्घटना जांच, यातायात क्रियान्वयन तथा दुर्घटना के बाद प्रबंधन जैसे सभी क्षेत्रों में पेशेवर और वैज्ञानिक कर्मियों की कमी इस समय देश के सामने बड़ी समस्या है। यही वजह है कि सड़क पर यातायात का ज्यादातर प्रबंधन गड़बड़ हो रहा है और सलाहकारों की मदद ली जा रही है। इन चुनौतियों से निपटने को तैयार पेशेवरों की मांग भी बढ़ती जा रही है।”
डॉ. रोहित बलूजा ने कहा, “घातक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कम करने तथा नियंत्रण, अनुशासन तथा सड़क पर झड़पों के लिए यातायात प्रबंधन एवं सड़क सुरक्षा प्रबंधन में वैज्ञानिक नजरिये की जरूरत है। यातायात प्रबंधन के सभी क्षेत्रों; यातायात इंजीनियरिंग, सड़क सुरक्षा ऑडिट, चालक प्रशिक्षण एवं बेड़ा प्रबंधन, यातायात क्रियान्वयन एवं सड़क दुर्घटना जांच, वाहन फिटनेस एवं दुर्घटना के उपरांत प्रबंधन में पेशेवरों की कमी है।”
डॉ. बलूजा ने कहा, “यातायात प्रबंधन के सभी क्षेत्रों में शैक्षिक एवं व्यावहारिक ज्ञान शामिल करने के उद्देश्य से इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजूकेशन (आईआरटीई) के कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट ने यातायात प्रबंधन में दो वर्ष का स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (एमएससी) आरंभ किया है।”
डॉ. बलूजा ने कहा, “पाठ्यक्रम में यातायात इंजीनियरिंग, यातायात क्रियान्वयन, सड़क दुर्घटना जांच, वाहन सुरक्षा, सड़क सुरक्षा शिक्षा, राजमार्ग संपत्ति प्रबंधन, सड़क सुरक्षा ऑडिट, दुर्घटना के उपरांत प्रबंधन एवं अन्य संबंधित क्षेत्र शामिल हैं। इसमें दक्षिण पूर्व एशिया से सभी उम्मीदवारों का स्वागत है।”
उन्होंने बताया, “पीजी कार्यक्रम में 30 सीट हैं और यह हरियाणा सरकार के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) से संबद्ध है। कार्यक्रम आरंभ होने के बाद यह दूसरा वर्ष है। 2019-20 के लिए नए कार्यक्रम में आवेदन की अंतिम तिथि 10 अगस्त, 2019 है।”
डॉ. बलूजा ने कहा, “इस कार्यक्रम की डिग्री लेकर निकलने वाले उम्मीदवारों को राजमार्ग परिचालन, सड़क निर्माण एवं रखरखाव, बेड़ा परिचालन, पर्यटन एवं परिवहन संगठनों, वाहन संगठनों, शहरी विकास एजेंसियों, सड़क परिवहन से संबंधित सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों, यातायात इंजीनियरिंग, सुरक्षा ऑडिट तथा सड़क सुरक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में करियर बनाने के मौके मिलेंगे।”
यह पाठ्यक्रम आरंभ करने का उद्देश्य आईआरटीई एवं संयुक्त राष्ट्र यूरोपीय आर्थिक आयोग के बीच समझौते के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य संस्थानों में ऐसे एमएससी पाठ्यक्रम को बढ़ावा देना है।
आईआरटीई के कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट ने फोरेंसिक विज्ञान में दो वर्ष का स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी शुरू किया है। इसका उद्देश्य गुणवत्ता भरी फोरेंसिक शिक्षा प्रदान करना है, जिससे वाहन दुर्घटना जांच में ही नहीं बल्कि आम अपराधों की जांच में भी मदद मिलेगी और आगे चलकर यह वैज्ञानिक, तकनीकी एवं विधिक सेवाओं का एकीकृत क्षेत्र बन जाएगा। यह उपाधि भी महर्षि दयानंद विश्वविद्याल, रोहतक, हरियाणा से संबद्ध है।
कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट इस समय भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के प्रशिक्षुओं को यातायात प्रबंधन में प्रशिक्षण दे रहा है। इसके अलावा राजमार्ग इंजीनियरों, चालक प्रशिक्षकों, दुर्घटना की जांच करने वालों और परिवहन अधिकारियों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।