लोकडाउन के दौरान जनसंख्या नियंत्रण पर भी ध्यान रखना बहुत जरूरी : डा. अंजना सोनी

0
1376
Spread the love
Spread the love

Faridabad News, 27 April 2020 : अज्ञानता, अशिक्षा, अंधविश्वास वश जिस उम्र में भारत देश में बेटियां मां बन जाती हैं जिस उम्र में बेटी पूरे परिवार की जिम्मेवारी उठा लेती है उस मासूम मन और कमजोर शरीर को खुद भी मालूम नहीं परिवार किस कहते हैं? जिम्मेदारियां क्या होती है? दायित्व क्या होते है? भविष्य क्या होता? आत्मविश्वास की तो बात ही ना करें, इन बेटियों को तो शिक्षा और शरीर के स्वास्थ्य तक का ज्ञान नहीं लाखों तो ऐसी है जिन्हें अक्षर ज्ञान मात्र भी नहीं है, एक तरफ समाज का एक हिस्सा अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर बेटियों के अंतरिक्ष में जाने की बात करता है, संसद में, सरकार में, प्रशासन में, राज कार्यों में, हिस्सेदारी की बात करता है और दूसरी तरफ देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा इन बेटियों को सिर्फ जनसंख्या वृद्धि का साधन समझता है उपभोग की वस्तु समझता है गृह कार्य करने की दासी समझता है, एक तरफ सरकारें सैकड़ों करोड़ों रूपये मात्र विज्ञापनों पर लगा कर अपनी पार्टियों को इन गरीबों के उत्थान का जरिया बताकर इन मासूमों को लूटते है, इनके हिस्से के साधनों को इस्तेमाल करते है और चुनाव के दौरान इन गरीबों की छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा कर या कागजी दावों के आधार पर झूठे सपने दिखा कर बेवकूफ बनाते है, दूसरी तरफ इस बहुत बड़े जनसंख्या भाग द्वारा वोट बैंक बने रहने के लिए और अधिक बड़ा वोट बैंक बनाने के लिए बचपन में ही लड़कियों को शादी जैसी परंपरा का शिकार बना दिया जाता है, वहीं उनके सामाजिक जीवन को उनके लिए एक तिरस्कृत अभिशाप में बदल दिया जाता है। इस देश की करोड़ों बेटियां अपने जीवन का अर्थ ही समझ पाती कभी भावनात्मक खिलवाड़, कभी बलात्कार, कभी बाल विवाह, कभी दहेज प्रथा, कभी गृहकार्यों का दायित्व, कभी बांझपन के लांछन तो कभी परिवार पर बोझ समझ कर उसे उसका जीवन जीने की आजादी ही नहीं दी जाती दूसरे शब्दों में कहूं तो उसे इंसान ही नहीं समझा जाता, ऐसे में देश की सरकारों को आगे आना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक कड़ा कानून बनाकर ना सिर्फ महिलाओं को अधिक बच्चे पैदा करने से रोका जा सकता है बल्कि महिलाओं के शरीरिक स्वास्थ्य एवं देश की आने वाली भावी पीढ़ी को भी एक उन्नत भविष्य दिया जा सकता है, साथ ही देश के सीमित संसाधनों को असीमित दोहन से भी बचाया जा सकता है,

समाज के जिस वर्ग कि मैं बात कर रही हूं अशिक्षा अज्ञान कुरीतियों अंधविश्वास के चलते यह लोग सिर्फ भावनाओं में बहकर शरीरिक संतुष्टि एवं प्रजनन में अधिक विश्वास रखते हैं। लोक विकास और वृद्धि आयोग की अध्यक्ष डा. अंजना सोनी का कहना है कि इनकी शिक्षा का प्रावधान तथा इन्हें रोजगार से जोडऩा बहुत जरूरी है अन्यथा देश में गैर उत्पादक मानव संसाधन बढ़ते रहेंगे और लोकतंत्र भीड़तंत्र के नाम पर इस्तेमाल होता रहेगा और कुछ गिने-चुने लोग अपनी तृष्णा दृष्टि में लगे रहेंगे। अत: संक्रमित वैश्विक महामारी के दौरान हुए लोकडाउन में केन्द्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाना चाहिए और आम लोगों को भी बढ़ती हुई जनसंख्या एक दिन गंभीर समस्या बन जाएगी इस पर ध्यान देना होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here