Faridabad News, 16 April 2019 : शोध कार्यों को बढ़ावा देने तथा गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के शोध कार्य को मान्यता देने के लिए ‘अनुसंधान पुरस्कार’ की शुरूआत की है। यह पुरस्कार, जिसके अंतर्गत मैरिट प्रमाण पत्र तथा 50 हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक के नकद पुरस्कार का प्रावधान किया गया है, विश्वविद्यालय द्वारा सूचीबद्ध विज्ञान प्रशस्तिपत्र सूचकांक (एससीआई) या विज्ञान प्रशस्तिपत्र सूचकांक विस्तारित (एससीआईई) शोध पत्रिकाओं में शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए प्रदान किया जायेगा।
विश्वविद्यालय ने अनुसंधान पुरस्कार को तीन श्रेणी में रखा है, जिसमें 50,000 रुपये की राशि का प्रशंसनीय अनुसंधान पुरस्कार, एक लाख रुपये की राशि का प्रीमियर अनुसंधान पुरस्कार तथा पांच लाख रुपये की राशि का उत्कृष्ट अनंसधान पुरस्कार शामिल हैं। इन पुरस्कारों को एससीआई या एससीआईई शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध पत्रों के लिए शोध पत्रिका की प्रकार तथा उसके प्रभाव कारक (इम्पेक्ट फैक्टर) के आधार पर दिया जायेगा। पुरस्कार के लिए शोध पत्रिका का इम्पेक्ट फैक्टर एक या इससे अधिक होना अनिवार्य है।
पुरस्कार मानदंड के अनुसार, कोई भी नियमित विश्वविद्यालय शिक्षक या विद्यार्थी जोकि विश्वविद्यालय के किसी पाठ्यक्रम में पंजीकृत हो, प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाले अपने शोध पत्रों के साथ पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकता है। बशर्तें उसका शोध पत्र विश्वविद्यालय द्वारा सूचीबद्ध विज्ञान प्रशस्तिपत्र सूचकांक (एससीआई) या विज्ञान प्रशस्तिपत्र सूचकांक विस्तारित (एससीआईई) शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ हो।
विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक समारोह में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने पहले अनुसंधान पुरस्कारों का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में वर्ष 2018-19 के लिए प्रशंसनीय अनुसंधान पुरस्कार के तहत शिक्षकों व विद्यार्थियों को उनके द्वारा प्रकाशित पांच शोध पत्रों के लिए पुरस्कृत किया गया, जिसमें प्रत्येक शोध पत्र के लिए 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान की गई।
समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय में शोध संस्कृति विकसित करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान संवर्धन बोर्ड का गठन किया गया है। इसके अलावा, प्रत्येक क्षेत्र में नवाचार तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अकादमिक-औद्योगिक संबंधों को मजबूत बनाने पर भी बल दिया जा रहा है। उन्होंने आशा जताई कि अनुसंधान पुरस्कारों के शुरू होने से विश्वविद्यालय में शोध कार्यों की गुणवत्ता में और अधिक सुधार होगा।
इस अवसर पर डीन (अनुसंधान व विकास) डाॅ. अतुल मिश्रा ने अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उठाये गये महत्वपूर्ण कदमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2017 से पूर्णकालीन पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू कर दिया गया है और इसके तहत प्रत्येक विभाग से एक शोधार्थी को अनुसंधान छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा गुणवत्ता सुधारने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अकादमिक व अनुसंधान संगठनों के साथ कई समझौते भी किये गये है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर संकाय सदस्यों से भी अनुसंधान परियोजनाएं आमंत्रित की जाती है, जिसका वित्त पोषण विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता हैं।
समारोह के दौरान जिन संकाय सदस्यों को सम्मानित किया गया, उनमें डाॅ. सी.के. नागपाल, डाॅ. शैलेंद्र गुप्ता, संगीता ढल्ल तथा गौरव (बीटेक विद्यार्थी) को संयुक्त शोध पत्र के लिए मैरिट प्रमाण पत्र तथा 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। इसी प्रकार, डाॅ. रश्मि चावला, डाॅ. सोनिया बंसल व सह-लेखक विनोद चेको, डाॅ. मनीषा गर्ग व सह-लेखक भूपेन्द्र सिंह, तथा ललित गोयल को उनसे संबंधित क्षेत्रों में शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए मैरिट प्रमाण पत्र तथा 50-50 हजार रुपये की नकद पुरस्कार राशि प्रदान की गई। इसके अलावा, समारोह में 57 अन्य शिक्षकों व शोधार्थियों को शोध लेखने में उत्कृष्ट कार्य के लिए मैरिट प्रमाण पत्र प्रदान किये गये।