February 22, 2025

छात्रों के भविष्य व कानूनों की अनदेखी में जे सी बोस यूनिवर्सिटी पहले पायदान पर

0
JC Bose
Spread the love

Faridabad News, 28 Oct 2020 : जे सी बोस यूनिवर्सिटी (YMCA) फरीदाबाद, जो की नामी शिक्षण संस्थानों में गिना जाता है, अपनी कार्यशैली के कारण विवाद व चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले एक कॉलेज के छात्र ने अपना नाम व पहचान उजागर न करने की शर्त पर जानकारी देते हुए कहा कि जे सी बोस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले कई कॉलेजों से यूनिवर्सिटी का विवाद चल रहा है जो कि न्यायालय में विचाराधीन है।

चूंकि विगत वर्षों में यूनिवर्सिटी ने कभी भी माननीय सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस का भी पालन नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2013 में दिए गए (पाशर्वनाथ चेरिटेबल ट्रस्ट) जजमेंट के आदेशानुसार प्रत्येक वर्ष की 15 मई तक कॉलेजों को एफिलिएशन देना होता है जबकि यूनिवर्सिटी ने जबसे यह एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटी बनी है तब से आज तक किसी भी कॉलेज को तय समय सीमा के अंदर एफिलिएशन नहीं दिया, और न ही संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाही की गई। सुप्रीम कोर्ट ने यूनिवर्सिटियों की मनमनियों को रोकने, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने एवं उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को स्थापित करने के लिए निर्धारित की गयी समय सीमा को क़ानून घोषित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने एफिलिएशन से लेकर एडमिशन तक की समय सीमा को भी तय किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षा मे भर्ती के समय परेशानी व अनिश्चित्ता पर रोक लगने के लिए यह क़ानून बनाया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए क़ानून की अवहेलना करते हुए यूनिवर्सिटी में समानांतर सरकार चल रही है। इससे प्रतीत होता है कि उक्त मामला यूनिवर्सिटी के चांसलर (राज्यपाल- हरियाणा) के संज्ञान में भी नहीं है या यूनिवर्सिटी द्वारा उन तक से यह तथ्य छिपाए जा रहे हैं। सभी एफिलिएटिड संस्थानों और उनके बच्चों का भविष्य अब न्यायालय के हाथ में है।

यूनिवर्सिटी द्वारा समय पर एफिलिएशन न देने के कारण दसियों हजार बच्चों के भविष्य पर तलवार लटकी नज़र आती है। जिन भी कॉलेजों ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ न्यायालय में शरण ली है उन्हें न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा है कि उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय नहीं है। लेकिन यूनिवर्सिटी की मनमनियों के चलते इन कॉलेजों के दसियों हज़ार बच्चे अपने आप को असहाय व ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे सभी सरकारी पदाधिकारियों और यूनिवर्सिटियों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाही की जानी चाहिए। न्यायालय की अवमानना व अपनी लापरवाहियों के कारण इन्हें फटकार का सामना भी करना पड़ा है। जे सी बोस यूनिवर्सिटी देश के सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र सरकार और यहाँ तक की यूजीसी के नियमों का भी पालन नहीं करती या जानबूझकर देरी करती है। चूंकि अभी केंद्र सरकार, यूजीसी और AICTE की गाइड लाइंस के मुताबिक 30 नवम्बर तक एडमिशन किये जाने हैं जबकि जे सी बोस यूनिवर्सिटी का कहना है कि वह 31 अक्टूबर तक ही एडमिशन करेगी। लिहाजा यहाँ के छात्रों में हमेशा अपने भविष्य को लेकर डर बना रहता है।

 

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *