फरीदाबाद, सूरजकुंड, 20 मार्च। मेरी लाज राखो गुरूदेव…देव मेरी रखियो लाज गुरूदेव..मस्ती में डूबी अरदास से पंजाब पुलिस के धुरंधर कलाकार मस्त अली ने सूरजकुंड की चौपाल से अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पंजाब के कलाकारों की खुमारी श्रोताओं पर ऐसी छाई कि वे भी गायकी के साथ-साथ लय-ताल पर झूमने लगे।
मेले में बड़ी चौपाल की स्टेज राहगीरों को आराम तो देती ही है, उनको गीतों से भरा सुकून भी देती है। आज इस मंच पर पंजाब पुलिस के कलाकार हरेंद्र, हरविंद्र कौर, मीनू व मस्त अली ने अपने मस्ती भरे गीतों से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। डरिए वे छल्ला रब तौं…नित खैर मंगा मैं तेरी दुआं ना कोई हौर कर दी आदि मदमस्तगीतों को सुन श्रोता झूम उठे। इससे पहले राजस्थान से आए सुघड़ गायिकी के धनी कासिम, फिरोजखान आदि ने गणेश वंदना से अपनी शुरूआत की। इसके बाद उन्होंने केसरिया बालमा पधारो म्होर देश..बंधी हुई रचना प्रस्तुत की। राजस्थान की ही संगीता ने अपने साथियों के साथ कालबेलिया लोकनृत्य की मोहक प्रस्तुति दी।
बेटी बचाने का संदेश हमारे देश भारत में ही नहीं, घाना जैसे ठेठ आदिवासी क्षेत्र में जनजाति के पुरूष व महिलाएं कीते नामक नृत्य की प्रस्तुति से बेटी को पालने-पोसने की मनोकामना करते हैं। यहां से आए प्रिंस, अग्यानिव, बोस्तेना आदि ने खानवाशे…खानवाई..खानवा बोल से गीत व नृत्य पेश किया, जिसके मूल भाव बेटी की रक्षा करने के थे। आज इस मंच से नाइजीरिया, मोजांबिक, कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा, असम का बिहू लोकनृत्य, सूडान आदि के कलाकारों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।