Faridabad News, 16 Sep 2019 : भारत सरकार में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने हरियाणा सरकार में उद्योग, वाणिज्य, पर्यावरण और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री, विपुल गोयल, इंडियनलऑयल के अध्यक्ष श्री संजीव सिंह, निदेशक (आर एंड डी) डॉ. एसएसवी रामाकुमार की उपस्थिति में 15 सितंबर, 2019 को फरीदाबाद में इंडियन ऑयल के 5 एम टी पी डे बायोमैथेनेशन प्लांट का उद्घाटन किया। डिविज़नल कमिश्नर डॉ. जी अनुपमा, महापौर सुश्री सुमन बाला, वरिष्ठ उप महापौर, देवेंद्र चौधरी, वरिष्ठ उप महापौर मनमोहन गर्ग, इस्कॉन के प्रतिनिधियों और इंडियन ऑयल आरएंडडी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद थे। श्री प्रधान ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से फरीदाबाद में स्कूलों के लिए मध्याह्न भोजन पकाने के लिए इस्कॉन को मुफ्त आपूर्ति के लिए बायोमीशन प्लांट द्वारा उत्पादित कम्पोजिट बायोगैस से लदे पहले वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
मंत्री महोदय ने मीडिया से बातचीत की और बायोमैथेनेशन तकनीक के बारे में बताया। उन्होंने घोषणा की, “यह तकनीक माननीय प्रधानमंत्री के सपने ‘कचरे से संपन्नता तक’ के अनुरूप है। आरएंडडी विकसित डिजाइन और माइक्रोबियल प्रौद्योगिकी की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि यह सतत योजना के तेजी से कार्यान्वयन के लिए एक रास्ता देगा और इंडियनऑयल को इस क्षेत्र में अग्रणी व्यावसायिक बढ़त हासिल करने में भी मदद करेगा।
मंत्री महोदय ने इंडियन ऑयल आरएंडडी सेंटर में सोलर कुकिंग सिस्टम (सोलर चुल्हा), जिसका पायलट अध्ययन हाल ही में लेह में शुरू हो चुका है, से अत्यधिक प्रभावित होते हुए इसे और अधिक किफ़ायती और प्रभावी बनाने की सलाह दी, जिससे सभी को ऊर्जा प्रदान किया जा सके।
जैविक ऊर्जा को ऊर्जा में बदलने के लिए इंडियन ऑयल की दो चरण बायोमैथेनेशन तकनीक
जैविक कचरे जैसे भोजन एवं सब्जी अपशिष्ट, नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट के कार्बनिक अंश और ऊर्जा हेतु फसल अवशेषों के लिए बायोमैथेनेशन एक पर्यावरण अनुकूल प्रक्रिया है। इंडियन ऑयल आर एंड डी सेंटर ने विभिन्न प्रकार के कार्बनिक कचरे को मूल्यवान बायोगैस ऊर्जा में बदलने के लिए एक कुशल और किफायती दो चरण अवायवीय पाचन प्रक्रिया विकसित की है। बायोगैस में मुख्य रूप से मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अशुद्धियों की छोटी मात्रा होती है, जो परिवहन अनुप्रयोगों और बिजली उत्पादन के लिए खाना पकाने की बायोगैस, संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) के रूप में इस्तेमाल के लिए मौजूदा तकनीकों से शुद्ध की जा सकती है। बायो-मेथेनेशन प्लांट एक अन्य उत्पाद भी देता है जिसे जैविक खाद कहा जाता है जिसे मिट्टी कंडीशनर के रूप में उपयोग किया जाता है। किसानों के लिए रोज़गार सृजन और राजस्व के लिए अतिरिक्त रास्ते बनाने के अलावा बायोमैथेनेशन प्लांट जीएचजी में कमी करके, रोगजनक नियंत्रण और गंध में कमी करके पर्यावरण को लाभ पहुंचाता हैं.
• इंडियन ऑयल बायोमैथेनेशन टेक्नोलॉजी की खासियत-: पारंपरिक प्रक्रियाओं द्वारा प्राप्त उत्पादन 50-60% के मुकाबले बायोगैस में उच्च मीथेन सामग्री (> 80%), बेहतर हीटिंग वैल्यू और दहन दक्षता के लिए अग्रणी।
• पारंपरिक प्रक्रिया में 21-50 दिनों के मुकाबले 7-10 दिनों का लो एचआरटी (हाइड्रोलिक रिटेंशन टाइम): कम क्षमता वाले रिएक्टर के कारण कम कैपेक्स
• CO2 के सीटू का मीथेन में रूपांतरण के कारण बायोगैस की उच्च उत्पादन
• एनवायरो-टॉलरेंट इनोक्यूलम (55 डिग्री सी तक)
इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र ने फरीदाबाद, वर्तमान आर एंड डी केंद्र से सटे, 5 एम टी पी डे प्रदर्शन संयंत्र की स्थापना की है, जो जैविक कचरे/ रसोई कचरे को संपीड़ित बायोगैस (CBG) में बदलने के लिए इन-हाउस तकनीक पर आधारित है। इंडियन ऑयल द्वारा अपनी सीएसआर पहल के तहत संयंत्र स्थापित किया है, जिसमें ओरगनिक कचरे से 250 kg सीबीजी का उत्पादन प्रति दिन किया जा सकेगा जिसे इस्कॉन को निशुल्क सप्लाइ किया जाएगा, जिससे सरकारी स्कूल के बच्चों का मिड डे मील पकाने में उपयोग किया जा सके । इंडियन ऑयल नगर निगम फरीदाबाद के साथ मिलकर संयंत्र के लिए आवश्यक मात्र मे समुचित रूप से अलग किए गए रसोई कचरे की आपूर्ति करने के लिए काम करेगा। इंडियन ऑयल की यह पहल भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के अनुरूप है और बायोगैस उत्पादन संयंत्र का डिजाइन अत्याधुनिक है और बायोगैस की उच्च गुणवत्ता और मात्रा के लिए पेटेंट किया हुआ है। संयंत्र को सफलतापूर्वक कोंपरेससेड़ बायो गैस के उत्पादन की शुरुआत हुई ।