श्री सिद्धदाता आश्रम में नामदान दीक्षा समारोह संपन्न

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Faridabad News, 10 Nov 2019 : श्री सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में आज नामदान दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया जिसमें 252 लोगों को नामदान प्रदान किया गया। इन लोगों को आश्रम के अधिपति अनंत श्रीविभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने नया आध्यात्मिक नाम भी दिया।

इस अवसर पर श्रीगुरु महाराज ने कहा कि गुरुजन इस जीवन की महिमा बताने के लिए व्यक्ति को अपना शिष्य बनाकर नामदान देते हैं। उन्होंने कहा कि नामदान दीक्षा का बड़ा महत्व है क्योंकि इसके बाद एक व्यक्ति को आध्यात्मिक चेतना जगाने वाला गुरु मिल जाता है। जिसके बारे में कबीर, नानक, शंकर और रामानुज सभी ने बड़ी विशिष्ट बातें कही हैं।

स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने नव दीक्षार्थियों से कहा कि नामदान देने के बाद शिष्यों का कुशल क्षेम गुरुजन देखते हैं लेकिन शिष्य को भी गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिएण्। गुरूजी ने कहा कि रामानुज संप्रदाय में दीक्षित व्यक्ति को मोक्ष होना तय है। यह हमारे आचार्यों का भगवान के साथ भाव संंबंध है। उन्होंने बताया कि परंपरा के आचार्य रामानुज स्वामी जी भगवान से यह तय करके ही आए थे कि वह जिसे भगवान की शरण लाएंगे, भगवान् को उसे मुक्ति देनी होगी।

गौरतलब है कि इस नामदान परंपरा में भक्तों को पांच विधियों से गुजरना पड़ता है जिसमें यज्ञ, ताप, नाम, यज्ञोपवीत, शरणागति शामिल होते हैं। इस विधि में गुरु अपने शिष्य को एक नया आध्यात्मिक नाम भी देत हैं। देखने में आता है कि अनेक लोग इस नए नाम को ही अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप में स्वीकार कर लेते हैं। श्री रामानुज संप्रदाय में नाम दान प्राप्त व्यक्ति को मोक्ष अर्थात आवागमन से मुक्ति निश्चित मानी जाती है। श्री जी यानि लक्ष्मी जी द्वारा चलाए इस संप्रदाय को मानने वाले आज दुनिया में करोड़ों लोग हैं। जिसका उत्तर भारत में दिल्ली व हरियाणा में यह श्री सिद्धदाता आश्रम पवित्र तीर्थ क्षेत्र बन चुका है। जिसकी स्थापना वैकुंठवासी स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज ने वर्ष 1989 में की थी। यहां वर्तमान में अनंत श्रीविभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज गद्दीनशीन हैं।

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