Faridabad News, 12 Feb 2020 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) द्वारा फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से “नैक मान्यता की संशोधित रूपरेखा” पर राष्ट्रीय स्तर की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् के सौजन्य से किया गया था। इस कार्यशाला का उद्देश्य नैक मान्यता की संशोधित रूपरेखा एवं प्रक्रिया तथा उच्च शिक्षा संस्थानों को इसके लाभों के बारे में जागरूक करना था। कार्यशाला के दौरान नैक मान्यता की संशोधित प्रक्रिया के गुणात्मक और मात्रात्मक मैट्रिक्स तथा आईक्यूएसी की प्रक्रिया पर भी चर्चा की गई।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में एनआईटी, कुरुक्षेत्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. एस.के. चक्रवर्ती, डीन (क्वालिटी एश्योरेंस) प्रो. संदीप ग्रोवर, डीन (फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी) प्रो. तिलक राज, निदेशक, आईक्यूएसी प्रो. हरिओम के अलावा कई अन्य आमंत्रित अतिथि उपस्थित थे।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने नैक मान्यता के संशोधित प्रारूप के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से कार्यशाला आयोजित करने पर आईक्यूएसी प्रकोष्ठ के प्रयासों की सराहना की तथा विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के लिए नैक मान्यता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने नैक प्रक्रिया के प्रति जागरूकता लाने के लिए कार्यशाला के लिए आयोजन में सहयोग के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद का आभार जताया।
इससे पहले, आईक्यूएसी निदेशक प्रो. हरिओम ने सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया और कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नैक के संशोधित प्रत्यायन प्रारूप में पाठ्यचर्या, शिक्षण-अधिगम, छात्र सहयोग, अनुसंधान, अवसंरचना, शासन आदि से संबंधित दस्तावेजों को आवश्यक बनाया है।
अपने संबोधन में प्रो. एस. के. चक्रवर्ती जोकि एनबीए, एआईसीटीई और नैक के पैनल पर विशेषज्ञ सदस्य हैं, ने नैक मान्यता के संशोधित प्रारूप की अवधारणा पर प्रस्तुति दी। उन्होंने जानकारी दी कि नैक द्वारा किस प्रकार से मूल्यांकन की प्रक्रिया को और अधिक पुख्ता, पारदर्शी, मैत्रीपूर्ण और परिणामोन्मुखी बनाने की दिशा में प्रयास किये जा रहे है।
कार्यशाला के दौरान, दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। पहले तकनीकी सत्र में, प्रो. संदीप ग्रोवर ने नैक के संशोधित प्रारूप में प्रक्रिया और मानदंडों के बारे में बताया तथा प्रो. तिलक राज ने आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के गठन एवं कार्यों से संबंधित जानकारी दी।
दूसरे तकनीकी सत्र में, एमडीयू रोहतक के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. सुरेश बेदी ने उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए किये जा रहे बेहतर कार्यों के संबंध में जानकारी दी तथा प्रो. हरिओम ने ऑनलाइन मूल्यांकन और मान्यता की कार्यप्रणाली के बारे में बताया। कार्यशाला का अंतिम प्रश्नोत्तरी सत्र में प्रतिभागियों ने नैक प्रक्रिया से संबंधित संशयों बारे में जानकारी प्राप्त की।
सत्र के अंत में, निदेशक आईक्यूएसी ने कार्यशाला की कार्यवाही को संक्षेप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभागियों की सक्रिय सहभागिता के लिए धन्यवाद दिया। कार्यशाला प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण के साथ संपन्न हो गई।
कार्यशाला में 60 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें शैक्षणिक विभागों से सभी विभागाध्यक्षों, विश्वविद्यालय एवं संबद्ध कॉलेजों के संकाय सदस्यों और देशभर से विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया तथा नैक के संशोधित प्रारूप को लेकर जानकारी हासिल की।