Faridabad News, 09 Aug 2022 : श्री ए.के. सिंह, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एनएचपीसी ने 8 अगस्त 2022 को एनएचपीसी निगम मुख्यालय, फरीदाबाद में पूर्व चेतावनी प्रणाली (अर्ली वार्निंग सिस्टम-ईडब्ल्यूएस) के लिए एक इंटरनेट क्लाउड आधारित सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन की शुरूआत की। श्री वाई.के. चौबे, निदेशक (तकनीकी), श्री आर.पी. गोयल, निदेशक (वित्त) तथा एनएचपीसी के क्षेत्रीय कार्यालयों, पावर स्टेशन, परियोजनाओं और इकाइयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में भाग लिया। सॉफ्टवेयर वास्तविक समय के आधार पर पहचान की गई संवेदनशील परियोजनाओं के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में परियोजना/पावर स्टेशन के साथ निकट समन्वय के साथ-साथ नदियों के जल स्तर/बहाव की कड़ी निगरानी में सक्षम होगा। यह संबंधित परियोजना प्राधिकरणों/हितधारकों और स्थानीय प्रशासन को सावधान/चेतावनी जारी करेगा ताकि स्थानीय प्रशासन और लोगों को बाढ़ से पहले खाली करने या आश्रय के लिए सक्रिय किया जा सके तथा बाढ़ के दौरान लोगों को प्रतिक्रिया करने के लिए समय दिया जा सके।
जलविद्युत परियोजनाएं आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में अवस्थित होती हैं और कई प्रकार की आपदाओं जैसे भूस्खलन, बादल फटना, बाढ़, हिमस्खलन, जीएलओएफ (ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड), एलएलओएफ (लैंडस्लाइड लेक आउटबर्स्ट फ्लड) आदि के लिए संवेदनशील होती हैं। हाल के वर्षों में, हिमालयी क्षेत्र में कई आपदाएँ देखी गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में अचानक बाढ़ आ गई जिसमें कई लोगों की जान चली गई है और जलविद्युत परियोजनाएं और अन्य बुनियादी ढाँचे क्षतिग्रस्त हो गए। फरवरी 2021 में उत्तराखंड के चमोली जिले में एक प्राकृतिक आपदा आई थी, जिसमें कुछ जलविद्युत परियोजनाएं भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं और मानव जीवन और संपत्ति का बहुत नुकसान हुआ था। तत्पश्चात् विद्युत मंत्रालय (एमओपी) ने ऐसी संवेदनशील परियोजनाओं में अल्पकालिक और दीर्घकालिक मौसम पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडबल्यूएस) स्थापित करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने देश भर में 47 संवेदनशील परियोजनाओं की पहचान की जो आम तौर पर ईएल 1500 मीटर की ऊंचाई से ऊपर स्थित हैं या जो उस बेसिन में पहले हैं। इनमें से 10 एनएचपीसी लिमिटेड के और 2 सीवीपीपीपीएल (एनएचपीसी और जेकेएसपीडीसी के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी) के हैं। सीईए/एमओपी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऐसी परियोजनाओं को बांध/बैराज की उचित दूरी पर गेज और डिस्चार्ज साइटों पर टेलीमेट्री के साथ स्वचालित जल स्तर रिकॉर्डर (एडब्ल्यूएलआर) के रूप में पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) स्थापित करने का या अपस्ट्रीम परियोजनाओं (यदि कोई हो) के साथ करीबी समन्वय बनाए रखने का निर्देश दिया गया था ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में सुरक्षा उपाय करने के लिए परियोजना अधिकारियों को पर्याप्त समय मिल सके।
एनएचपीसी को सार्वजनिक/राज्य/निजी क्षेत्र से संबंधित देश में ऐसी संवेदनशील जलविद्युत परियोजनाओं के ईडब्ल्यूएस के कामकाज की निगरानी के लिए मास्टर कंट्रोल रूम सुविधा स्थापित करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी। सॉफ्टवेयर को पूर्वानुमान/अलर्ट को मजबूत करने के लिए वास्तविक समय के आधार पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के इनपुट के साथ एकीकृत किया गया है। वर्तमान में एनएचपीसी और सीवीपीपीपीएल से जुड़ी सभी परियोजनाओं को इस एप्लिकेशन के साथ आकार दिया गया है जिससे वे लाभान्वित हो रही हैं। अन्य विकासकर्ताओं से संबंधित जलविद्युत परियोजनाएं भी भविष्य में इस सॉफ्टवेयर पोर्टल का लाभ उठा सकती हैं।
ईडब्ल्यूएस सॉफ्टवेयर के लॉन्च के अलावा, एनएचपीसी ने अपनी 2000 मेगावाट की सुबानसिरी लोअर परियोजना में महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी हासिल की, जिसमें बांध के नॉन-ओवरफ़्लो ब्लॉक एल 4 ने ईएल 210 मीटर के शीर्ष स्तर को सफलतापूर्वक हासिल किया और यूनिट-3 के टर्बाइन कार्यों को दिनांक 08.08.2022 को लोअर पिट लाइनर के पहले भाग को नीचे करके शुरू किया गया।