पत्रकारिता व्यवसाय नहीं, एक स्वप्रेरित कार्य : उपासने

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Faridabad News, 16 May 2020 : न्यूज़ में व्यूज का समावेश करने से पत्रकारिता एजेंडे में बदल जाती है, इसलिए पत्रकार केवल समाचार दें और पक्षकार न बनें और समाचार देते समय समाचार की सत्यता की भी जांच करें। उक्त विचार आज देवऋषि नारद जयंती के उपलक्ष्य में विश्व संवाद केंद्र फरीदाबाद द्वारा आयोजित एक वेब गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार इंडिया टुडे के पूर्व कार्यकारी संपादक एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री जगदीश उपासने ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये।

श्री उपासने ने बताया कि नारद मुनि पत्रकारिता के पितामाह थे, जिन्होंने समाज में संवाद का कार्य शुरू किया था। नारद के पास श्रुति स्मृति थी। उपासने अनुसार आजादी से पहले और अब की पत्रकारिता में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। आजादी से पहले अधिकतर पत्रकारों संपादकों ने देश को आजाद करवाने के लिए लेख लिखे। जिस जनून के साथ उन्होंने काम किया उनकी पत्रकारिता रंग लाई और लोगों में जागृति आने के अलावा भारत आजाद भी हुआ लेकिन वर्तमान में कुछ कार्पोरेट घरानों के हाथ पत्रकारिता का सिस्टम आने के बाद इसमें काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के लिए व्यवसाय करना तो ठीक है, लेकिन व्यवसाय के लिए पत्रकारिता करना उचित नहीं है। हालांकि आज भी बहुसंख्यक पत्रकारों के लिए पत्रकारिता शौक या रोजी-रोटी का जरिया न होकर स्वप्रेरित कार्य ही है। कोरोना संकट के दौरान जिस प्रकार की भूमिका पत्रकार निभा रहे हैं, वह उसी प्रेरणा व संकल्प के कारण है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएवी कालेज फरीदाबाद से सेवानिवृत प्राध्यापिका डॉ शुभ तनेजा ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन ने डॉ तनेजा ने कहा कि आज कोरोना काल की संकट घडी में भी पत्रकार अपनी जान हथेली पर रखकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं और देश दुनिया के समाचार हम तक पहुंचा रहे हैं। इसलिए पत्रकारों को भी कोरोना योद्धा माना जाना चाहिए। समाज पत्रकारों का सदैव ऋणी रहेगा। इस अवसर पर पत्रकार शकुन रघुवंशी जी, अशोक शर्मा जी, राकेश चौरसिया जी, मुकेश वशिष्ठ जी एवं डीएवी शताब्दी कालेज में पत्रकारिता की प्राध्यापक श्रीमती रचना कसाना ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
विश्व संवाद फरीदाबाद के सदस्य राजेंद्र गोयल ने वेबगोष्ठी का सञ्चालन करते हुए कहा कि देवऋषि नारद पत्रकारिता के जनक हैं और पत्रकारिता हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। इसलिए पत्रकारिता की पवित्रता एवं विश्वसनीयता सदैव निष्कलंक रहनी चाहिए।

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