Faridabad News, 23 Jan 2020 : बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व को लेकर जागरूकता लाने के दृष्टिगत जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आज फरीदाबाद के स्टार्ट-अप और लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन हरियाणा राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के पेटेंट सूचना केंद्र के तत्वावधान में किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य पेटेंट फाइलिंग प्रक्रिया और इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।
कार्यशाला में इंटीग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ माइक्रो, स्मॉल, मीडियम एंटरप्राइजेज ऑफ इंडिया के चेयरमैन श्री राजीव चावला मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता रहे। सत्र की अध्यक्षता अध्यक्षता कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने की। इस अवसर पर कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ. कोमल कुमार भाटिया और कंप्यूटर अनुप्रयोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अतुल मिश्रा भी उपस्थित थे। कार्यशाला का समन्वयन डॉ. पारुल तोमर और डॉ. रश्मि पोपली ने किया। कार्यशाला में विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों तथा लघु एवं मध्यम उद्यमों से जुड़े प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री चावला ने पेटेंट और कॉपीराइट दाखिल करने में लघु एवं मध्यम उद्यमियों को पेश आने वाली समस्याओं के बारे में चर्चा की तथा युवा उद्यमियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिए पेटेंट और कॉपीराइट दाखिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
बौद्धिक संपदा अधिकारों की जागरूकता के लिए कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग द्वारा की गई पहल की सराहना करते हुए, कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि तकनीकी प्रगति के युग में बौद्धिक संपदा की बढ़ती प्रासंगिकता के साथ, बौद्धिक संपदा की रक्षा करना आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा की सुरक्षा देश की आर्थिक उन्नति तथा बौद्धिक विकास को सुनिश्चित बनाती है।
इससे पहले, सत्र को संबोधित करते हुए हरियाणा के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डाॅ. राहुल तनेजा ने बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित बुनियादी जानकारी दी। डाॅ. तनेजा ने उदाहरण देते हुए उद्यमियों को ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, ट्रेड सीक्रेट और पेटेंट के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के दौर में किसी भी व्यवसाय शुरू करने से पहले ट्रेडमार्क या पेटेंट करवाकर बौद्धिक संपदा को सुरक्षित बनाना ही समझदारी है। उन्होंने कहा कि जब तक कोई इनोवेटिव आइडिया पेटेंट न हो जाये तब तक उसे दूसरों से साझा नहीं करना चाहिए।
कार्यशाला को दिल्ली विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा कानून में सहायक प्रोफेसर डॉ अश्वनी सिवाल ने भी संबोधित किया तथा पेटेंट अधिनियम एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े विभिन्न कानूनी पहलुओं तथा पेटेंट मानदंडों के बारे में चर्चा की।