महिला काव्य मंच की फरीदाबाद इकाई के द्वारा 27.05.2022 को मकाम के संस्थापक नरेश नाज़ के सरंक्षण में एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिस का संचालन व अध्यक्षता जिला अध्यक्ष डॉ प्रतिभा चौहान ने किया। इस काव्य गोष्ठी में फ़रीदाबाद की अनेक कवयित्रियों ने जीवन में नैतिक मूल्यों की अहमियत, पर्यावरण, प्रेम- पीर विषयों पर काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी का आरम्भ रितु अस्थाना जी की सुमधुर सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कवयित्री रितु अस्थाना ने जीवन की विडम्बनाओं को उकेरते हुए कहा- ” धर्म युद्ध कैसे जीतेंगे,उलट पुलट सब दांव हुए हैं”, रेनू भाटी ने नई पीढ़ी के बदलते जीवन मूल्यों पर वार किया-“नई पीढ़ी दे रही दर्द भरीं सौगातें”, वहीं डॉ लक्ष्मी ने प्यार में विछोह का उलाहने इस तरह से दिया-“जाओगे जब हाथ छुडाकर तुम भी तो पछताओगे”। इसी कडी में रितु गुप्ता ने युवाओं को कर्म के लिये प्रेरित करते हुए कहा-“तुझे उस पार जाना है, समय को पकड़ना है ” और मधु गुप्ता ने जीवन ध्येय के लिये विद्धयार्थियॉं को प्रेरित करने वाले मुक्तक कहे-“स्वप्न अन्तस में जो बसा, बस वही ध्येय दिखलाता है” , कौमुदी भारद्वाज ने बचपन को याद करते हुए कहा- “वो आंगन की छांव ढूँढते”और नई कवयित्री पूनम अहलावत ने विचारा- क्या लिखूं मैं, कोई श्रम गीत या प्रेम छन्द”।मकाम की उपाध्यक्ष निर्मला शर्मा ने प्रेम पीर को गेयात्माक्ता के साथ इस तरह पुकारा- “हमारे सावरिया सुनेंगे हमारी पीर, उदास मन धरो रे धीर”। अन्त में गोष्ठी की अध्यक्षा प्रतिभा चौहान ने जिन्दगी के ख्याल को कुछ यूँ पुकारा-“झट से ले जाता है, आसमां की नीली नदी पर, छपाक से कुदा देगा पाताल के छोर पर , फिर खुद गायब हो जायेगा ये ख्याल”।अन्त में सौहार्दपूर्ण वातावरण मे आयोजित काव्य गोष्ठी के लिये सभी ने मकाम फरीदाबाद इकाई को धन्यवाद किया और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं ।