Faridabad News, 07 Sep 2020 : फरीदाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता ओ पी शर्मा की पत्नी के निधन पर प्रशासन द्वारा पैरोल न देने पर नाराज फरीदाबाद के सामाजिक, धार्मिक व राजनितिक, संगठनों ने आज फरीदाबाद के लघु सचिवालय में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जिला उपायुक्त यशपाल यादव के खिलाफ नारेबाजी की और मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम एसडीएम फरीदाबाद को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर सैंकड़ों की संख्या में वकील, शिक्षाविद्, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस प्रदर्शन का नेतृत्व हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बलजीत कौशिक ने किया।
इस अवसर पर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बलजीत कौशिक ने कहा कि भाजपा के शासन काल में प्रशासन संवेदनहीन और अमानवीय होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा राजनीतिक षडय़ंत्र तहत ओपी शर्मा को उनकी पत्नी के निधन के अवसर पर दाह संस्कार मे शामिल होने के लिए पैरोल नही दी गई। ओपी शर्मा फरीदाबाद ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश और दिल्ली, नोएडा तक एक वरिष्ठ अधिवक्ता व समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं। ओपी शर्मा बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के एनरोलमेंट कमेटी के चेयरमैन एवं बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन तथा 10 वर्षों तक बार काउंसिल के सदस्य रहे हैं। ओ पी शर्मा जिला बार एसोसिएशन फरीदाबाद के कई बार प्रधान भी रह चुके हैं। इसके अलावा वे जिला ब्राह्मण सभा फरीदाबाद के अध्यक्ष, आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा की एडहॉक कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष, अभिभावक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष और अनेक धार्मिक सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी रहे हैं। ओपी शर्मा को उनकी धर्म पत्नी के दाह संस्कार में शामिल ना होने देना फरीदाबाद के जिला प्रशासन व हरियाणा की भाजपा सरकार के संवेदनहीन व अमानवीय चेहरे को दर्शाता है। और साथ ही सरकार की घोर लापरवाही को उजागर करके सरकार की संवेदनहीनता को भी दिखाता है। साथ ही हिन्दू धर्म द्वारा निर्धारित अंतिम रस्म के साथ खिलवाड करने का घोर अमानवीय कृत्य करने की संवेदनहीनता प्रकट करता है।
ज्ञात हो कि फरीदाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी शर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती वीरबाला शर्मा का गत दिनांक 2 सितंबर को निधन हो गया था। ओपी शर्मा वर्ष 2006 में कोर्ट परिसर में हुए गोलीकांड में नीमका जेल में सजा काट रहे हैं। उन्होंने अपनी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए प्रशासन से पैरोल की मांग की थी। लेकिन जिला उपायुक्त ने उन्हें पैरोल नहीं दी। इसके अलावा उनके परिजनों को इधर उधर भटका कर उनको मानसिक रूप से प्रताडि़त भी किया।
इस अवसर पर अधिवक्ता बृजमोहन शर्मा और युवा कांग्रेस के नेशनल मीडिय़ा पेनलिस्ट सुमित वशिष्ट ने कहा कि भाजपा के शासन में प्रशासन कटपुतली बना हुआ हैं। उन्होंने कहा कि किसी परिजन की मृत्यु पर होने पर बड़े-बड़े सजायाफ्ता मुजरिमों को भी उनके दाह संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल मिल जाती है। लेकिन प्रशासन का रवैया शुरू से ही ओपी शर्मा के प्रति घोर अमानवीय रहा है उन्हें पहले भी पहले से ही ओपी शर्मा को पैरोल पर छोडऩा चाहिए था। लेकिन प्रशासन ने सरकार की कोविड़19 के बनाये गये मानदंड़ों और शर्तों का बेशर्मी से उल्लंघन किया। ओपी शर्मा के मानवीय अधिकारों और हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार अपनी धर्मपत्नी को मुखाग्नि देने का के अधिकार को बुरी तरह रौंदा गया। राजधर्म का भी उल्लंघन किया गया।
इस अवसर पर सचिव, जिला बार एसोसिएशन फरीदाबाद नरेन्द्र पाराशर ने कहा कि जब प्रदेश के वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ भाजपा शासन व प्रशासन इस प्रकार का अमानवीय व्यवहार कर सकता है, तो आम व्यक्ति को न्याय की क्या आस रह सकती है। फरीदाबाद के जिला उपायुक्त को इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए। क्योंकि वे इस प्रकार का अमानवीय और संवेदनहीन कृत्य करके समाजिक व राजनीतिक स्तर पर सरकार की छवि को धूमिल क्यों कर रहे हैं।
इस मौके पर पदमश्री डॉ. ब्रहमदत, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता जितेन्द्र चंदेलिया, प्रवक्ता सुमित गौड़, नीरज सचदेवा एडवोकेट, विनोद कौशिक, बृजमोहन वशिष्ठ, समाजसेवी वरूण श्योकंद, अनशनकारी बाबा रामकेवल, कैलाश शर्मा, अनिल पाराशर एडवोकेट, सचिन पाराशर, दीपक कुमार, अनुज शर्मा, रिषीपाल, सुनीता पांडे, ललिता यादव पार्षद, अजय सिंह, भूपेन्द्र रावत, केपी तेवतिया, मनोज अरोड़ा, हरीश शर्मा, ओमदत्त कौशिक, सुंदर नर्वत, सुरेन्द्र नटनागर, प्रदीप शांढिल्य, हितेश पाराशर, सीबी वशिष्ठ, अभिषेक पांचाल, जसवंत पंवार, हरीशचंद शर्मा, दीपक त्यागी, अर्जुन पंडित एडवोकेट, प्रवीण ठाकुर आदि विशेष रूप से मौजूद थे।