पेड़ लगाओ जीवन बचाओ पर होमर्टन में विशेष सेमिनार का आयोजन

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Faridabad News, 08 May 2019 : हमारी धरती पर मानव जीवन पर इस प्रदूषण का गंभीरतम संकट बढ़ता जा रहा है। सन् 2030 तक धरती पर जीवन अत्यंत कष्ट कारी हो चुका होगा और इसका प्रमुख कारण मनुष्यों द्वारा विकास के नाम जो क्रंकीट के जंगल खड़े हो रहे हैं, पेड़ काटे जा रहे हैं इससे धरती का जैविक संतुलन और पर्यावरण संतुलन पूरी तरह बिगड़ चुका है। आज हॉमर्टन ग्रामर स्कूल सैक्टर-21ए के ट्रिनटी हॉल में स्वामी प्रेम परिवर्तन उर्फ पीपल बाबा ने सभी छात्रा छात्राओं को बदलते जीवन परिवेश के खतरों के प्रति आगाह करते हुए उपरोक्त संदेश दिया। भारत की धरती आज आवश्यकता से अधिक जन रहित हो चुकी है और लोग नए पेड़ों को लगाने को लेकर जागरूक नही हैं। इसलिए अब यह कार्य तो बच्चों को ही करना होगा। ऐसा मानते हुए लगभग दो करोड़ पेड़ लगाने वाले गिनीज बुक ऑपफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम पेड़ों की वजह से दर्ज करवाने वाले पीपल बाबा ने बच्चों को अनेक उदाहरणों से प्रेरित किया। आपने रचनात्मक कार्यो से परिचित कराते हुए बच्चों को पफरीदाबाद के सुन्दर पर्यावराण से भी बच्चों को परिचित कराया। सन् 2030 तक मानव जीवन पर हवा और पानी की कमी के आने वाले खतरों से निपटने के लिए ही पीपल बरगद और नीम जैसे पेड़ों को लगाने के लिए प्रेरित किया। बच्चों में भी ‘पीपल बाबा’ से अशोक अर्जुन जैसे पेड़ों का महत्व पूछा और किस तरह कार्य करना है, यह भी जानने की कोशिश की। पीपल बाबा हॉमर्टन की हरी भरी धरती पर पीपल का एक सुन्दर पौधा अपने हाथों से बच्चों के साथ मिलकर लगाया। बच्चों को भारतीय पीपल, बरगद और नीम का महत्व समझाते हुए कहा कि हरियाणा जो कीाी अपने जामुन पीपल के पेड़ों के लिए विख्यात था और पीपल तो हरियाणा का घोषित राजकीय वृक्ष है। आज हरित सम्पदा विहीन होता जा रहा है। नदियां सूख रही हैं इसलिए अब तो पेड़ों को लगाने का काम यु;स्तर पर करना होगा। बच्चों के प्रश्नोत्तर के बाद हॉमर्टन ग्रामर स्कूल के प्रबंध निदेशक श्री राजदीप सिंह ने ‘गिव मी ट्रीज’ ट्रस्ट के निदेशक श्री विनीत वोहरा तथा स्वामीजी को हार्दिक धन्यवाद दिया और स्मृति चिह्न स्वरूप दोनों को पौधों के सुन्दर गमले प्रदान किए। सभी अतिथियों का स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती अर्चना डोगरा ने भावपूर्ण स्वागत किया। सभी छात्रों को पर्यावरण को सुरक्षित रहने के लिए निरंतर पेड़ लगाने की प्रेरणा मिली।

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