Faridabad News, 08 July 2019 : पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की 12वीं पुण्यतिथि के अवसर पर इण्डियन नेशनल लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता ठाकुर उमेश भाटी ने एक सभा का आयोजन अपने कार्याल्य पर किया। इस मौके पर मुख्य रूप से गगन सिसोदिया, विजय भाटी, अरविंद रावत, ललित चौहान, अंकित पुंडीर, दिवाकर मिश्रा व कपिल आदि समाजसेवी उपस्थित थे।
उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए श्री भाटी ने कहा चन्द्र शेखर का जन्म 1 जुलाई 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में स्थित इब्राहिमपत्ती गांव के एक किसान परिवार में हुआ था। वह 1977 से 1988 तक जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे थे। श्री चन्द्र शेखर अपने छात्र जीवन से ही राजनीति की ओर आकर्षित थे और क्रांतिकारी जोश एवं गर्म स्वभाव वाले वाले आदर्शवादी के रूप में जाने जाते थे।
उन्होंने 1962 में वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए। वे जनवरी 1965 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। 1967 में उन्हें कांग्रेस संसदीय दल का महासचिव चुना गया। संसद के सदस्य के रूप में उन्होंने दलितों के हित के लिए कार्य करना शुरू किया एवं समाज में तेजी से बदलाव लाने के लिए नीतियाँ निर्धारित करने पर जोर दिया। इस संदर्भ में जब उन्होंने समाज में उच्च वर्गों के गलत तरीके से बढ रहे एकाधिकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई तो सत्ता पर आसीन लोगों के साथ उनके मतभेद हुए।
उन्होने कहा कि चन्द्र शेखर हमेशा व्यक्तिगत राजनीति के खिलाफ रहे एवं वैचारिक तथा सामाजिक परिवर्तन की राजनीति का समर्थन किया। यही सोच उन्हें 1973.75 के अशांत एवं अव्यवस्थित दिनों के दौरान श्री जयप्रकाश नारायण एवं उनके आदर्शवादी जीवन के और अधिक करीब ले गई। इस वजह से वे जल्द ही कांग्रेस पार्टी के भीतर असंतोष का कारण बन गए। 25 जून 1975 को आपातकाल घोषित किये जाने के समय आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जबकि उस समय वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शीर्ष निकायों, केंद्रीय चुनाव समिति तथा कार्य समिति के सदस्य थे।
श्री भाटी ने कहा कि हमें भी उनके द्वारा बताये गये मार्गो पर चलते हुए भ्रष्टाचार रूपी राजनीति को समाप्त करना ह और देश व प्रदेश में एक ऐसे शासन को लाना है जिससे हर वर्ग खुश रहे।