फरीदाबाद, 7 अप्रैल 2022। केएल मेहता दयानंद कॉलेज फॉर वूमेन, में महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में हरियाणा राज्य महिला आयोग, पंचकुला” के सहयोग से “मानव तस्करी विरोधी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम” का आयोजन किया गया। इस आयोजन की संयोजक डॉ मीनू दुआ और सह- संयोजक मधु सत्या और योगिता थीं।
यह कार्यक्रम “मानव तस्करी की रोकथाम और पीड़ितों के पुनर्वास” विषय पर था। इसी विषय पर एक इंटर कॉलेज पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि, हरियाणा राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने मानव तस्करी पर छात्रों का मार्गदर्शन किया।
महिला आयोग की चेयर पर्सन रेनू भाटिया ने सबसे पहले कॉलेज की लड़कियों को स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं दी और कहा कि अच्छा खाएं योग करें और पिट रहे इसके बाद उन्होंने आज के कार्यक्रम मानव तस्करी विरोधी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि उन्होंने भी अपनी कॉलेज की पढ़ाई इसी कॉलेज से की है। पहले का माहौल और आज कैसा नहीं है। जब आप इस कॉलेज की पढ़ाई को पूरा करके बाहर जाएंगे तो बाहर कुछ ऐसे राक्षस बैठे हैं जो चाहते हैं कि लड़कियां अपनी शिक्षा पूरी करके कब बाहर आए और हम उनको झपट ले आज भी कॉलेज में ऐसी भोली लड़कियां हैं जिनको दुनियादारी का भी पता नहीं। ऐसे में लड़कियों का समझदार और जागरूक होना बहुत जरूरी है। हमारा उद्देश्य लड़कियों को स्कूल कॉलेज और कार्यस्थल पर मजबूत करना है ताकि ताकि वह किसी आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति के चंगुल में ना आ जाए। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न करना क्या होता है और लड़कियां स्कूल और कॉलेज के बाद कहीं ना कहीं नौकरी के लिए जाती हैं सतर्क रहना बहुत आवश्यक है। सोशल मीडिया पर फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म पर लड़कियां लोगों के झांसे में आ जाती है और उनके चंगुल में फंस जाती हैं ऐसे में लड़कियों को सतर्क और जागरूक करना बहुत आवश्यक है। उन्होंने छात्राओं को दो उदाहरण देते हुए कहाकि नौकरी के बहाने लड़कियों के साथ बहुत ही गलत व्यवहार गया। लड़कियों को नौकरी लगाने के बहाने होटलों में बुलाया जाता है। इन सब बातों से सतर्क रहे और एक उलझन में फसने के बाद ओर उलझनों में ना फसे। अगर किसी लड़की की कोई शिकायत है तो वो हमसे मिले हम उसकी मदद करेंगे।
इसके उपरान्त मार्था फैरेल फाउंडेशन की निदेशक सुश्री नंदिता प्रधान भट्ट ने छात्राओं को तस्करों द्वारा तस्करी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीकों के बारे में बताया और उन्हें सतर्क रहने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने बतायाकि महिलाओं के प्रति कार्यस्थल पर लिग आधारित हिसा और सुरक्षा और यौन उत्पीड़न को लेकर हर मुद्दे पर बात की जाए। महिलाओं से सम्बंधित कानूनों को लेकर आज भी देश में कही-कही जागरूकता की कमी है। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने “विशाखा दिशानिर्देश” निर्धारित किए। इसके जरिए नियोक्ता के लिए महिला कर्मचारियों को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कदम उठाना और समाधान, निपटारे या अभियोजन के लिए कार्यप्रणाली की व्यवस्था करना अनिवार्य बना दिया गया।
2013 में आए कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम ने कार्यस्थल की परिभाषा को व्यापक किया और घरेलू कामगारों समेत अनौपचारिक क्षेत्र को इसके दायरे में लाया। यह अधिनियम स्वास्थ्य, खेल, शिक्षा के साथ–साथ सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों या सरकारी संस्थानों में और परिवहन समेत अपने नियोजन के दौरान कर्मचारी के भ्रमण के किसी भी स्थान में सभी कामगारों को सुरक्षा प्रदान करता है। कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम लागू किया गया। यौन शोषण एक बहुत बड़ा मुद्दा है कॉलेज और कार्यस्थल में बहुत फर्क है कार्यस्थल पर सुरक्षा मिलना हर नारी का हक है और यह हक हमें हमारे संविधान से मिला लड़कियों को किसी से डरने की जरूरत नहीं अगर किसी लड़की के साथ कुछ गलत होता है तो उन्हें किसी दूसरे से पूछने की जरूरत नहीं कि क्या सही और क्या गलत है। उन्होंने समाज में व्याप्त धारणा को बदलने के लिए भी कहा जिसमें कहा गया है कि महिलाओं के छोटे कपड़े डालना यौन उत्पीड़न को बढ़ावा देना है।
शक्ति वाहिनी की विधि अधिकारी और परियोजना कोऑर्डिनेटर सुरभि शिवपुरी ने छात्राओं का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्था संस्था उन बच्चों की मदद करती है जिनमें छोटी बच्चियों और लड़कियों को झूठे प्रेम जाल में फंसा कर घर से भगा लिया जाता है और दूसरी जगह ले जाकर उनको बेच देते हैं। उन्होंने कहा कि आजकल सोशल मीडिया का दौर है सोशल मीडिया पर कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोग झूठी तस्वीरें लगाकर लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसाते हैं उसे दोस्ती करते हैं उन्हें भरोसा दिलाते हैं और अगर कोई लड़की इनकी बातों में फंस जाती है तो उनका शारीरिक शोषण करते हैं।
उन्होंने छात्राओं से कहा की कोशिश करें सोशल मीडिया का उपयोग कम से कम और सावधानीपूर्वक करें अगर सोशल मीडिया पर कोई व्यक्ति आपसे दोस्ती करने या मिलने के लिए आपका दबाव डालता है तो इस बात को अपनी टीचर और अपने पेरेंट्स से जरूर शेयर करें क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों का भला ही जाते हैं। सोशल मीडिया पर रिलेशनशिप कभी ना बनाएं और अपनी तस्वीर या वीडियो किसी भी आप परिचित व्यक्ति से शेयर ना करें क्योंकि आजकल ऐसी एप्लीकेशन आ गई है जिसमें तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ करके उनका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। फेसबुक टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर अपनी कोई भी पर्सनल जानकारी फोटो या वीडियो बिल्कुल भी शेयर ना करें और सोशल मीडिया पर नौकरी के विज्ञापनों के लालच में ना आए। आजकल लड़कियों को नौकरी के नाम पर बड़े-बड़े सपने दिखा कर उनको बहला-फुसलाकर दूसरे राज्य में ले जाकर उनसे जबरन गलत काम कराया जाता है तथा लड़कियों की अश्लील वीडियो बनाकर उन को ब्लैकमेल करते हैं और उनके साथ उनके परिवार वालों को भी ब्लैकमेल करते हैं अगर कोई लड़की ऐसी किसी मुसीबत में फंस जाती है तो वह बिना किसी डर के हमसे संपर्क करें।
इसी विषय पर एक इंटर कॉलेज पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। जिसमे प्रतियोगिता में भाग लेने वाली छात्राओं को इनाम देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य डॉ. मंजू दुआ ने इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर आयोजित सेमीनार में मौजूद छात्राओं के उत्साह की सराहना की।