नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती पर परिचर्चा का आयोजन

0
700
Spread the love
Spread the love

Faridabad News, 23 Jan 2021 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के लिबरल आट्र्स एवं मीडिया स्टडीज विभाग द्वारा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में मीडिया की नैतिकता और राष्ट्रवाद विषय को लेकर ई-पैनल परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

परिचर्चा कार्यक्रम में हरियाणा उच्चतर शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष प्रो. बृृज किशोर कुठियाला और जाने-माने पत्रकार, चिन्तक तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक श्री तरुण विजय मुख्य वक्ता रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। लिबरल आट्र्स एवं मीडिया स्टडीज विभाग के अध्यक्ष प्रो. अतुल मिश्रा ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. एस.के. गर्ग भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ सुभाष गोयल द्वारा किया गया।
नेताजी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि सुभाषचन्द्र बोस को देश में राष्ट्रवादी विचारधारा के महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में देखा जाता है। उनकी राष्ट्र के लिए सोच और देशभक्ति का ही परिणाम है कि देश का स्वतंत्रता संग्राम सफल हुआ। राष्ट्रवाद की विचारधारा को लेकर कुलपति ने युवा पीढ़ी के पत्रकारों के शिक्षण-प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री तरुण विजय ने भारतीय पत्रकारिता में वामपंथी विचारधारा को राष्ट्रहित की दृष्टि से हानिकारक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी पत्रकारिता नहीं होनी चाहिए जिससे दुश्मन देशों का फायदा हो या हमारे सैनिकों का मनोबल गिरे। उन्होंने कहा कि देश के कई राज्य आज जेहाद, माओवाद, नक्सलवाद और धर्मांतरण से प्रभावित है, जिसका वामपंथी विचारधारा को पूरा समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति को खत्म करने का प्रयास देश की संप्रभुता के लिए खतरा है। मीडिया की नैतिकता और राष्ट्रवाद को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुए उन्होंने कहा कि देशभक्ति के बिना पत्रकारिता का कोई मतलब नहीं रह जाता। उन्होंने कहा कि जिस पत्रकारिता में देशभक्ति नहीं, वह कलम अधर्म के साथ हैं।

अपने संबोधन में प्रो. कुठियाला ने पाश्चात्य से प्रभावित शब्दावली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रवाद’ शब्द की जगह ‘राष्ट्रत्व’ ज्यादा उचित है। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले देशभक्ति और भारतीयता ही पत्रकारिता होती थी, लेकिन समय एवं जरूरत के अनुसार इसका स्वरूप बदला गया। मौजूदा परिदृश्य में मीडिया की नैतिकता तथा राष्ट्रवाद को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया की कर्तव्य सत्य की खोज करना है और ऐसे सत्य को उजागर करना है, जिससे समाज की भलाई हो।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मीडिया को देश की आजादी में सुभाष चन्द्र बोस केे योगदान को सही रूप से उजागर करना चाहिए। नेताजी के जीवन का सत्य प्रमाणिक रूप से सामने आना चाहिए और यह बताया जाना चाहिए कि किस तरह से नेताजी के योगदान को छुपाने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रभाव से अब भारत तोड़ों मीडिया कमजोर हुआ है।
प्रो. कुठियाला ने मीडिया विभाग के शिक्षकों और विद्यार्थियों को मीडिया की नैतिकता के लिए नारद भक्ति के सूत्रों को संवाद की दृृष्टि से देखते हुए शोध करने पर बल दिया, जिस पर प्रो. अतुल मिश्रा ने उनके सुझाये गये विषय पर शोध कार्य को प्रोत्साहित करने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव डाॅ. एस. के. गर्ग ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here