Faridabad News : मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज के फैकल्टी ऑफ मीडिया स्टडीज एंड ह्यूमैनिटीज की ओर से दूसरी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। सम्मेलन महान लोगों का एक संगम था जिसमें 100 से अधिक शिक्षाविदों और शोध विद्वानों ने “मीडिया, भाषा और साहित्य: परिवर्तन संकल्पना और आयाम” पर विचार किया।
इस मौके पर तुलनात्मक साहित्य संघ भारत के महासचिव प्रोफेसर डॉ. चंद्र मोहन ने बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लिया। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन के डायरेक्टर जनरल केजी सुरेश इस कार्यक्रम के वशिष्ट अथिति थे।
सम्मेलन के विषय पर अपनी खुशी साझा करते हुए केजी सुरेश ने कहा कि, सोशल मीडिया के आज के युग में भाषा की गुणवत्ता और शुद्धता के साथ समझौता किया गया है। भाषा सभी संचार की कुंजी रखती है और हमें संचार के किसी विशेष माध्यम के उपयोग के लिए बुनियादी बातों पर समझौता नहीं करना चाहिए।
डॉ. एन सी वाधवा, वीसी, एमआरआईआरएस ने, कैसे सोशल मीडिया ने प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने के अवसर प्रदान किए उसके उभरते आयामों के बारे में बात की। इसके अलावा, इस अवसर पर डॉ. नीमो धर, डीन, एफएमईएच भी मौजूद रहीं। उन्होंने इस मौके पर उपस्थित रहे सभी लोगों का धन्यवाद किया।
इस सम्मेलन में सात तकनीकी सत्र शामिल थे, जिनमें प्रमुख प्रोफेसर डॉ. ओमान एंटनी, डीन, स्कूल ऑफ ह्यूमेनिटीज, के.आर.मंगलम विश्वविद्यालय, डॉ. बांदाना पांडे, प्रोफेसर, स्कूल ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन स्टडीज; गलगोटियास यूनिवर्सिटी; डॉ सी पी सिंह, प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, आई पी यूनिवर्सिटी; डॉ. सुभाष कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, पत्रकारिता और जन संचार विभाग, मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर; डॉ अतनु महापात्रा, एसोसिएट प्रोफेसर और अध्यक्ष, सेंटर फॉर स्टडीज एंड रिसर्च इन डायस्पोरा (स्वतंत्र केंद्र), यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात; डॉ टी.एन धर, प्रोफेसर (सेवानिवृत्त), अंग्रेजी विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय और डॉ. अंजू सहगल गुप्ता, प्रोफेसर, स्कूल ऑफ ह्यूमेनिटीज, इग्नू ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन ने छात्रों को आधुनिक समय में मीडिया और भाषा से संबंधित मुद्दों पर खुद को अपडेट करने का अवसर दिया।