Faridabad News, 23 Nov 2018 : गुरूनानक देव जी के प्रकोशोत्सव के अवसर पर प्रभात फेरी का आयोजन सैक्टर 16 स्थित गुरूद्वारा सुुुखमनी भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर भाई जसंवत सिंह बैरागी दिल्ली वालो एवं उनके साथियों द्वारा शब्द कीर्तन गुरू के चरण तोये तोये पीवा’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रधान कैप्टन चरण सिंह जौहर, सचिव अवतार सिंह पसरीचा, रिटायर मेजर गुरूबख्श सिंह साहनी, जीवन छाबड़ा, मूलराज नन्द्राजोग, विष्णू सूद, विनोद कांत वासदेव, नरेन्द्र सिंह साहनी, पार्षद्र सुभाष आहूजा, समाजसेवी टेकचंद नंद्राजोग (टोनी पहलवान), स. कुलदीप सिंह साहनी, सुरेन्द्र सिंह सांगा, स. तजेन्द्र सिंह चढ्डा, सतनाम सिंह मंगल, स. सरबजीत सिंह चौहान, राजीव खेड़ा, शरणजीत कौर, नवीन पसरीचा, महेन्द्र कौर, मंजीत कौर, रश्मिन कौर चढ्डा, नीरू अरोडा, सबल कौर, अमरप्रीत कौर, कृष्ण आर्य, अमर जीत सिह, माता महेन्द्र कौर, बलबीर कौर, गुरजीत सिंह मोंगा, सुशील भ्याना, अनिल अरोडा, शंटी मल्होत्रा सहित अन्य साध संगत उपस्थित रही। इस अवसर पर टेकचंद नन्द्रजोग टोनी पहलवान, स. कलदीप सिंह साहनी नेे ने कहा भारत भूमि ऋषि.मुनियों तथा अवतारों की भूमि मानी जाती है। गुरु नानक देव जी भी ऋषि-मुनियों की परम्परा में आते हैं। ईश्वर पर श्रद्धा, गुरु नानक देव जी की बचपन से ईश्वर में श्रद्धा थी। उनका मन भक्ति में ही लगता था। पिता ने उन्हें शिक्षकों के पास भेजाए पर कोई भी शिक्षक उन्हें न पढा सका क्योंकि सांसारिक पढाई में गुरु नानक देव जी को रुचि नहीं थी। टोनी पहलवान व कुलदीप साहनी ने कहा कि सबसे बडे समाज-सुधारक सारा जीवन गुरु नानक देव जी जातीय भेद भाव, वैरभाव और राग-द्वेष को मिटाने का भरसक प्रयत्न करते रहे। वे सबको परमात्मा की सन्तान मानते थे। दूसरों का दोष न देखकर वे अपना दोष देखने के लिए कहते थे। दूसरों की सेवा करना ही उनका आदर्श मन्त्र था। वे अपने समय के बडे समाज-सुधारक थे। छुआछूत, अन्धविश्वास तथा पाखण्डों का उन्होंने बडे जोर से खण्डन किया। परोपकार, मानव प्रेम और सहयोग यही उनके उपदेशों के महत्वपूर्ण अंग थे। अनेक देशों में जाकर उन्होंने लोगों को मानव.प्रेम का पाठ पढाया। वे शान्ति के प्रचारक थे। गुरु नानक देव जी अपने सुख और शान्ति के उपदेशों को लोगों तक पहुंचाने के लिए देश-विदेश भी गए।