February 20, 2025

सर जगदीश चंद्र बोस की 160वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन

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Faridabad News, 27 Nov 2018 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद में आज 20वीं सदी के महान वैज्ञानिक तथा देश में अब तक के सबसे सफल वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस की 160वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षकों तथा विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार तथा सूचना संसाधन संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. मनोज कुमार पतैरिया मुख्य वक्ता रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। कार्यक्रम में डीन (इंस्टीट्यूशन्स) डॉ. संदीप ग्रोवर, फिजिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष दीक्षित तथा मैथ विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीतू गुप्ता भी उपस्थित थी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोनिया बंसल तथा निशा सिंह द्वारा किया गया।
रेडियो विज्ञान के जनक जे.सी. बोस को श्रद्धांजलि देते हुए प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में जगदीश चंद्र बोस का योगदान महत्वपूर्ण तथा उल्लेखनीय है। उन्हें हमेशा विश्व स्तर पर अपनी मौलिक वैज्ञानिक खोजों तथा तकनीकी आविष्कारों के लिए याद किया जाता रहेगा जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के बिल्कुल अलग क्षेत्र विद्युत चुम्बकीय तथा वनस्पति विज्ञान से संबंधित है। उनका अनुसंधान आधुनिक विज्ञान के लिए अद्वितीय है।
मुख्य संबोधन में डॉ. पतैरिया ने जगदीश चंद्र बोस के मुख्य आविष्कारों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि क्रॉसकोग्राम के साथ जगदीश चंद्र बोस का कार्य महानतम आविष्कार था। उन्होंने अपनी खोज से सिद्ध किया कि कैसे पौधे व वनस्पति विभिन्न उत्तेजनाओं पर प्रतिक्रिया करते है। उन्होंने पौधारोपण तथा देखरेख करने की विधियों को प्रोत्साहित करने का मार्ग प्रशस्त किया क्योंकि वे ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिनका विश्वास था कि पौधे दर्द महसूस करते है और स्नेह को समझते है।
कार्यक्रम के दौरान जे.सी. बोस के आविष्कारों पर एक पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें एमएससी मैथ के हरीश भारद्वाज व सुमन शर्मा ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। दूसरा पुरस्कार एमएससी पर्यावरण विज्ञान की छात्रा काजल सैनी ने जीता। तीसरा पुरस्कार संयुक्त रूप से एमएससी मैथ की छात्रा दीपाली व बीएससी फिजिक्स की छात्रा निवेदिता वर्मा ने प्राप्त किया। इस अवसर पर जगदीश चंद्र बोस के जीवन पर आधारित वृत्तचित्र व लघु-चलचित्र भी प्रदर्शित किया गया।

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