Faridabad News, 14 June 2020 : मानव रचना सेंटर ऑफ पीस एंड सस्टेनेबिलिटी और मानव रचना यूनिवर्सिटी की ओर से जीवविज्ञान आपदा प्रबंधन (कोविड 19 के बाद) पर वेबिनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम को एनडीएमए के पूर्व सदस्य प्रोफेसर डॉ. मुजफ्फर अहमद ने संबोधित किया। प्रोफेसर अहमद को साल 2008 में राष्ट्रपति द्वारा पीसी रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने बताया देश में दो तरह की एमरजेंसी होती है जिनमें नेचुरल और मैनमेड एमरजेंसी शामिल होती हैं। उन्होंने बताया इनका प्रभाव समाज की योग्यता के अनुसार होता है।प्रोफेसर मुजफ्फर ने नेचुरल डिजास्टर, वाटर और क्लाइमेट डिजास्टर, मैन मेड डिजास्टर और एक्सीडेंट डिजास्टर के बारे में बात की। उन्होंने कहा आपदा किसी भी तरह की हो उससे आम लोगों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचता है।
उन्होंने बताया एक्सीडेंट डिजास्टर के कारण देश की तीन प्रतिशत जीडीपी पर असर पड़ता है, हर चार मिनट में भारत में एक्सीडेंट के कारण एक व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. उन्होंने कहा हमें हर आपदा से लड़ने के लिए 2030 तक तैयार रहना होगा, जिनमें पर्यावरण को बचाना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने आपका से निपटने के लिए एमरजेंसी मोबाइल फील्ड अस्पताल बनाने होंगे जिनमें ऑपरेशन थिएयर और वार्ड्स पोर्टेबल हों।
कार्यक्रम में मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला ने कहा, आज हर वर्ग कोरोना की लड़ाई लड़ रहा है, उम्मीद है जल्द सभी को इस से निजात मिलेगी. उन्होंने प्रोफेसर अहमद और सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।
कार्यक्रम में डॉ. अमित भल्ला, डॉ. संजय श्रीवास्तव, डॉ. आईके भट्ट समेत कई गणमान्य व्यक्ति, फैकल्टी मेंबर्स समेत अन्य लोग शामिल हुए।