अधरंग(लकवा) जैसे गंभीर रोगों में भी बेहद लाभप्रद फिजियोथेरेपी : डॉ जितेंद्र

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Health News, 09 April 2021 : सामान्य जोड़ों, मांसपेशियों के दर्द के साथ ही अधरंग (लकवा)जैसे गंभीर रोगों में भी फिजियोथेरेपी बेहद उपयोगी है। इसके माध्यम से लकवा के दुष्परिणाम पर जल्दी काबू पाया जा सकता है। अधिकतर मरीजों में देखा गया है कि फिजियोथेरेपी कराने के बाद वे पूरी तरह रोगमुक्त हो जाते है और अपनी दिनचर्या के कार्य स्वयं कर पाते हैं।

फिजियोथेरेपिस्ट डा. जितेद्र सिंगला का कहना है कि अधरंग (लकवा)के संबंध में फिजियोथेरैपी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लकवा मरीजों के लिए फिजियोथेरेपी रामबाण इलाज है। उनका कहना है कि अगर लकवा मरीज को फिजियोथेरेपी से इलाज किया जाए तो, बेकार हो चुके अंग फिर से काम करने लगते हैं। उन्होंने बताया कि लकवा की बीमारी किसी को भी हो सकती है। परन्तु इसका मुख्य कारण उच्च रक्तचाप का होना है।वैसे देखा जाए तो लकवा किसी विशेष अंग को मारता है, और उसका संबंध दिमाग की नसों से ही होता है। ब्रेन स्ट्रोक के बाद किसी एक अंग का या एक तरफ के आधे हिस्से का काम न करना भी लकवा होता है। कई बार लोगों को किसी सदमें के कारण भी लकवा मार जाता है। लकवा का इलाज एक लंबी प्रक्रिया है। इसमें जल्द व सकारात्मक परिणाम बहुत कम आते हैं।
डॉ सिंगला का कहना है कि हाल के वर्षों में लकवा मरीजों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टर इस बारे में बताते हैं कि पहले लकवा बुढ़ापे की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। लकवा किसी को भी मार सकता है। हार्ट अटैक,हार्ट फेलियर की तरह लकवा भी कम उम्र में भी लोगों को अपनी जद में ले सकता है। अगर आप की जीवनशैली सक्रिय नहीं है तो लकवा मारने की संभावना आप में ज्यादा है। शरीर में विटामिन, पोषक तत्वों की कमी भी लकवा की संभावना को बढ़ा देता है। लकवा से बचने के लिए इंसान को नियमित व्यायाम और सही खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। और अपना रक्त चाप नियंत्रित रखना चाहिए।

लकवा मरीज के साथ कुछ सावधानियां करनी चाहिए। जैसा की लोग समझते हैं कि लकवा के मरीज को तेल मालिश से ठीक किया जा सकता है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि इससे मांसपेशियों की अकड़न बढ़ती है इसलिए लकवे के मरीज को तेल मालिश से बचना चाहिए।

नियमित दवाओं का सेवन और फिजियोथेरेपी से ही लकवा ठीक किया जा सकता है। फिजियोथेरेपी से बेजान हुयी मांसपेशियों में जान आने की संभावना बहुत अधिक होती है। जिससे लकवा मरीज पुन : ठीक होकर सामान्य जीवन यापन कर सकता है। और अपनी दिनचर्या के कार्य स्वयं कर सकता है।

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