Faridabad News, 07 Jan 2020 : मैंने भारतीय स्टेट बैंक के सामने एक सेवानिवृत्त फौजी को मुंह लटकाए देखा हमने पूछा भाई क्या बात है उन्होंने बताया जी हमें हमारी पेंशन के विरुद्ध पर्सनल लोन मिलता है सारी कागजी कार्रवाई करने के बाद वह हमसे एसबीआई के खाता धारक के दो गारंटर के हस्ताक्षर मांगते थे परन्तु अब यह कहते हैं कि गारंटर के भी वही पूरे दस्तावेज लाइए जो अपने लिए लाए हो। भाई हम यूं हैरान हैं। हमारी पेंशन मिल रही है।हमें दिया जाने वाला जो कर्ज है वह सुरक्षित है।उसकी अदायगी अपने आप बैंक में कर लेते हैं इन्हें कहीं रिकवरी के लिए भागदौड़ नहीं करनी पड़ती। फिर इतनी भागदौड़ क्यों हम विजय मालिया तो न थे, न हैं। यह हमारे लिए ऐसा क्यों? बड़ी मुश्किल से कोई गारंटर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हो जाता था अब यह कहते हैं जो दस्तावेज तुम्हारे हैं उतने गारन्टर की भी लाइए हम हैरान हैं ऐसा क्यों ? समाचारों में सुनते हैं कि मोदी जी इज ऑफ बिजनेस कर रहे हैं परंतु यह तो इज ऑफ बिजनेस नहीं पूर्णतया हरासमेंट है।ऐसी उलझनें ही जनता को भारतीय जनता पार्टी और मोदी की सरकार से दूर ले जा रही हैं।
इतना ही नहीं हम फौजियों के साथ एक और भी अन्याय है जहां किसानों को किसान क्रेडिट सर्टिफिकेट के माध्यम से 4% ब्याज से कर्ज मिलता है और हमें पर्सनल लोन पर 12 से 14% ब्याज देना पड़ता है मोदी जी से हम निवेदन करना चाहते हैं जहां आप एक ओर तो यह नारा लगाते हो–जय जवान जय किसान। यहां जय जवान वाली बात प्रतीत तो नहीं होती। आदरणीय मोदी जी हरियाणा जाते-जाते बचा महाराष्ट्र गया झारखंड गया। गया–गया– गया के कारणों को समझने का प्रयास करें मोदी जी।