Faridabad News, 13 oct 2019 : उत्तर प्रदेश / कहते है दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो इंसान के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं। ऐसा ही एक उदाहरण देश की एक बेटी ने इन शब्दों को चिरतार्थकरके दिखाया है जिसने अपनी जिंदगी के संघर्ष के बारे में बताया है नीचे पढ़िए प्रज्ञा सिंह की कहानी उसी की ज़ुबानी।
नाम-प्रज्ञा सिंह ,
पिता का नाम – श्री अजय बहादुर सिंह एसबीआई से सेवानिवृत्त..कभी भी पदोन्नति नहीं ली, ताकि मेरी पढ़ाई ना बेगाडे।
माता का नाम-श्रीमती प्रेमलता सिंह केंद्र स्कूल शिक्षक मिला लेकिन मेरी परवरिश के लिए शामिल नहीं हुई .
जौनपुर में गांव कुदुदुपुर से जहां कई आईएएस बनाए गए हैं , मेरे दादाजी की याद में टीडी कॉलेज में राम भूषण सिंह पुस्तकालय है। मैंने कारमेल कॉन्वेंट से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और मैं अपनी सफलता का श्रेय देना चाहूंगी हमारी अध्यापिका रत्न बनर्जी और कारमेल के दुर्गेश नंदिनी जी को और फिर बीएससी लखनऊ विश्वविद्यालय से की. इसके बाद योग और नेचरोपैथिक एससी में स्नातकोत्तर किया। जब नेचरोपैथिक के बाद मरीज से बात की तो समझ में आया की बहुत सी पॉलिसी और शेमस है जो सरकार से जरूरतमंदों को पहुंच नहीं रही है तो बस तब मन बना सिविल सर्विस का और तब तैयारी शुरू करने का सोचा कि इधर उधर भाग के बिचौलिए बनके गरीब और जरूरतमंदों की मदद करने से बेहतर है कि प्लेटफार्म पर आकर किया जाए और मेरी सफलता का श्रेय जाता है मेरे परिवार वालों मेरे अध्यापकों और मेरे मित्रों को पहले ही प्रयास में यूपीपीसीएल 2017 मैं सफलता प्राप्त की वाणिज्यिक कर अधिकारी के पद पर। इसके पहले यू पी ए सी के दो इंटरव्यू दिए थे. हालांकि यूपीपीएससी के दौरान मुझे बहुत गंभीर दुर्घटना का सामना करना पड़ा जिससे कि मेरे मस्तिष्क में थक्के फ्रैक्चर हो गए अंत में सब होनी के बाद भी उस हालात में मैंने इंटरव्यू दीया और जिसमे मैंने सफलता हासिल की। इस सफलता के बाद मां-बाप को ज्यादा गर्व हो रहा है वहीँ मित्रो , रिश्तेदारों और जानपहचान वालो की बधाई सन्देश का मैसेज लगातार मिल रहे है। वहीँ अब मुझे पब्लिक कमीशन उत्तर प्रदेश के द्वारा प्रयागराज क्षेत्र में कमर्शियल टेक्स आफिसर के तौर पर सेवाएं देने का अनुमति पत्र भेजा गया है। मै दी गयी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठां और ईमानदारी से निभाऊंगी।
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