फरीदाबाद 25 अक्टूबर। स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रधानमंत्री आत्म निर्भर स्वस्थ भारत योजना देश की सबसे बड़ी योजना है। यह विचार विधायक सीमा त्रिखा ने बी के सिविल हस्पताल के प्रांगण में इस सम्बंध में आयोजित समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य में मुख्यमंत्री मनहोर लाल के नेतृत्व में और स्वास्थ्य के साथ अन्य क्षेत्रों में अमूलचूल परिवर्तन आया है। इसी क्रम में आज प्रधानमंत्री आत्म निर्भर स्वस्थ भारत योजना की शुरुआत की गई है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वाराणसी में प्रधानमंत्री आत्म निर्भर स्वस्थ भारत योजना को आज लांच किया है। इसके तहत पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। (पीएमएएसबीवाई)
प्रधान मंत्री आत्म निर्भर स्वास्थ्य भारत योजना मुख्य बाते का लक्ष्य ब्लॉक, जिला, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आईटी आधारित रोग निगरानी प्रणाली विकसित करना है। योजना के तहत विशेष फोकस वाले 10 राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर खास जोर रहेगा, 5 लाख से ज्यादा की आबादी वाले राज्यों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक की स्थापाना की जाएगी। सरकार का दावा है कि यह देश में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक होगी। इसके तहत अगले छह साल में कुल 64,180 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने योजना को मंजूरी दी है। जिसका ऐलान बीते एक फरवरी को पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था। योजना के तहत हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर में सबसे कमजोर 10 राज्यों पर विशेष फोकस किया जाएगा। इसके अलावा देश के 602 जिलों में क्रिटिकल केयर सुविधाएं भी शुरू की जाएंगी। प्रधानमंत्री आत्म निर्भर स्वस्थ भारत योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी 2021 को पेश किए गए बजट में की थी। इसके तहत देश में हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर फोकस किया जा रहा है। 15 मार्च 2021 को स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार 2025-26 तक 64,180 करोड़ रुपये के जरिए हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जाएंगे। इसके तहत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जाएंगे। जिसके अंतर्गत विशेष फोकस वाले 10 राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों (रूलर हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर) के लिए सहायता, सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की स्थापना, देश के सभी जिलों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं और विशेष फोकस वाले 11 राज्यों के 3382 ब्लॉक में सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों पब्लिक हैल्थ यूनिट) की स्थापना, देश के 602 जिलों और 12 केंद्रीय संस्थानों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक की स्थापना, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की 5 क्षेत्रीय शाखाओं और 20 महानगरीय स्वास्थ्य निगरानी इकाइयों को मजबूत करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं लैब को जोड़ने के लिए सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल का विस्तार, सत्रह नई सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को शुरू करना और 33 मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत करना, जो कि 32 हवाई अड्डों, 11 बंदरगाहों और 7 लैंडक्रॉसिंग पर स्थित हैं, पंद्रह हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर और 2 मोबाइल अस्पतालों की स्थापना, वन हेल्थ के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना, डब्ल्यूएचओ के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफॉर्म, 9 जैव-सुरक्षा स्तर-3 की प्रयोगशालाएं और 4 क्षेत्रीय राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान की स्थापना की जाएगी।
इससे साथ ही योजना का लक्ष्य ब्लॉक, जिला, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आईटी आधारित रोग निगरानी प्रणाली विकसित करना है। जिसके तहत इन क्षेत्रों की प्रयोगशालाओं सर्विलांस लेबोरेटरी) का एक नेटवर्क विकसित करना है। इसके लिए स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत करके, बीमारी का प्रभावी ढंग से पता लगाने, जांच करने, रोग के प्रसार को रोकने और मुकाबला करने के लिए तैयार करना है। साथ ही इसके जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी), 2017 की सिफारिशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च पब्लिक हैल्थ एक्सपण्डिचर को सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी) के 1.15 % से बढ़ाकर 2.5% करने का लक्ष्य है। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ विनय गुप्ता, पीएमओ डॉ सविता यादव, डिप्टी सिविल सर्जन डॉ रमेश, डॉ राजेश श्योकंद, डॉ हरजिंदर सिंह, डॉ गजराज, डॉ शीला भगत, डॉ सन्नी धनवाल, वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ एमपी सिंह सहित अनेको गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।