Faridabad News, 10 May 2019 : श्री सिद्धदाता आश्रम के पांच दिवसीय 11वें ब्रह्मोत्सव के चौथे दिन रामानुज संप्रदाय के प्रवर्तक स्वामी रामानुज की जयंती जोरदार ढंग से मनाई गई। रामानुज स्वामी को भगवान नारायण के शेषजी के अवतार माना जाता है जिन्होंने कलियुग में धर्म से दूर हो रहे लोगों को धर्म के साथ जोड़ा।
रामानुज संप्रदाय के प्रमुख स्थल श्री सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में भाष्यकार रामानुज स्वामी की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई। ऐसा माना जाता है कि करीब एक हजार वर्ष पूर्व धर्म से विरुद्ध आचरण बढऩे पर भगवान के निर्देश पर शेषजी ने रामानुज के रूप में दक्षिण के पेरंबदूर में अवतार लिया और लोगों को धर्म के साथ जोड़ा। उन्होंने गुरु भक्ति और गुरु ज्ञान को आगे स्थापित किया और जीव व ब्रह्म के लिए एक विशिष्ट अद्वैत सिद्धांत को प्रतिपादित किया। वह करीब 120 वर्ष जीऐ और पूरे ङ्क्षहदुस्थान को एक सूत्र में पिरोया।
श्री सिद्धदाता आश्रम के अधिष्ठाता श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने रामानुज स्वामी की प्रतिमा का सविधि अभिषेक कर पूजन किया एवं लोकमंगल की कामना की। उन्होंने कहा कि गुरु भक्ति को पुन प्रतिपादित करने वाले रामानुज स्वामी के नाम से ही संप्रदाय को जाना जाने लगा। मूलत: इस संप्रदाय की स्थापना स्वयं माता लक्ष्मी जी ने की इसलिए इस संप्रदाय का नाम श्री संप्रदाय है। उनके साथ आरा बिहार से आए श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री ज्योतिनारायणाचार्य जी महाराज एवं बड़ा खटला वृंदावन से खटलेश स्वामी श्री रामेश्वराचार्य जी महाराज भी मौजूद रहे।
शाम को आश्रम के बाहर श्री रामानुज स्वामी की शोभायात्रा निकाली गई जिसमें स्वामी जी प्रतिमा के साथ भक्तगण ढोल नगाड़ों के साथ सम्मिलित हुए। पांच दिवसीय यह ब्रह्मोतसव 22 अप्रैल को भगवान श्री लक्ष्मीनारायण एवं अन्य सभी देव विग्रहों के साथ विशाल शोभायात्रा के साथ संपन्न होगा।