आरक्षण विरोधी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए 11 उम्मीदवारों की सूची जारी की
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Faridabad News, 23 Jan 2019 : आरक्षण विरोधी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज सेक्टर 58 फरीदाबाद में हुयी बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़े करने पर चर्चा हुई तथा 11 उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसमे फरीदाबाद लोकसभा से संजय शर्मा, जबलपुर मध्यप्रदेश से चन्द्र प्रकाश भटनागर, ग्वालियर से महंत कोस्तुभ शर्मा, रीवा से सुनील कुमार पाण्डेय, गुना-शिवपुरी से डोली शर्मा, सतना से प्रदीप शर्मा, कोटा-बूंदी से महेश रानीवाल, सीतापुर से हरेन्द्र विक्रम सिंह, उन्नाव से राम बरन सिंह, अमेठी से अरविन्द कुमार पाण्डेय, दक्षिण दिल्ली से विकाश कुमार शुक्ला के नाम पर मुहर लगाई गई, पार्टी अन्य प्रत्यासियों की लिस्ट भी जल्द जारी करेगी इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि :
यदि समाज ने साथ दिया तो में काले कानून एससी एक्ट और जातिवादी आरक्षण को समाप्त करूँगा उन्होंने कहा
- मेरी सभी समुदायों से गुजारिश है जाति आधारित आरक्षण को नासूर बनने से रोकने हेतु आगे आये और आरक्षण विरोधी पार्टी के उम्मीदवार या नोटा को ही चुने
- जब गरीबी जाति देखकर नहीं आती तो आरक्षण जाति के आधार पर क्यों
- जाति के आधर पर करोडपति नेता, मंत्री, IAS, IPS, जज, को आखिर कब तक
- 70 सालों से हर सरकार गरीबों का रोना रोती आयी है चुनाव जीतते ही कोर्पोरेट घरानों की दस्ता कर चंदा वसूलती हैं, गरीबी बेरोजगारी और भी खतरनाक स्तर पर पहुँच गयी है
- आरक्षण देश की सभी समस्याओ का मूल कारण है यदि प्रतियोगियों का चयन योग्यता के आधार पर हो तो देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी डालर के मुकाबले रुपया मजबूत होगा रक्षा उपकरण, राडार, लड़ाकू विमान खरीदने की जरुरत नहीं होगी बल्कि देश में बनने शुरू हो जायेंगे इससे हर वर्ष लाखों करोड़ रुपया विदेशो में जाने के बजाय उसी पैसे से देश में उद्योग लगेंगे बेरोजगारी और गरीबी दोनों मिटेंगे साथ ही विदेशी सौदों में दलाली (अगस्ता, राफेल, बोफोर्स इत्यादि) भ्रष्टाचार बंद होगा
हमारा प्रयास है कि जातिगत आरक्षण पूर्णतया समाप्त हो या फिर आरक्षण का आधार सिर्फ आर्थिक हो जिसका उद्देश्य भरण पोषण हेतु रोजगार मुहय्या करना हो, जिसकी अधिकतम सीमा 30 या 40% से अधिक न हो जिससे इसका लाभ सिर्फ गरीब और जरूरतमंद को मिले न कि करोड़पति मंत्रियों और बड़े अधिकारीयों के बच्चों और रिश्तेदारों को
शिक्षण, तकनिकी, विज्ञानं, खोज, चिकित्सा, जैसे क्षेत्रों और प्राशासनिक पदों के चयन में सिर्फ योग्यता का मापदंड होना चाहिए जिससे किसी के जीवन से खिलवाड़ न हो और देश तकनिकी, विज्ञानं एवं सामरिक द्रष्टि से मजबूत बने
जातिगत आरक्षण एक महाकाय दैत्य का रूप ले चुका है पिछली सरकारों ने इसका दायरा बढाया है जो सामान्य वर्ग के लिए अभिशाप बन चुका है
- देश की सरकारें पुरे देश की जनता से साबुन, कपडा, जूते व् अन्य घरेलु सामन पर टेक्स वसूलकर देश के प्रत्येक नागरिक और गरीब मजदुर से आरक्षण पर आया खर्च वसूलती है और कुछ चुनिन्दा लोगों को आरक्षण का फायदा पहुंचाती हैं इस व्यवस्था को बदलने के लिए आप सभी को पहल करनी होगी
- आज आरक्षण महाकाय दैत्य का रूप ले चुका है जिसके लिए हमारे ही वर्ग के वो प्रतिनिधि जिम्मेवार हैं जो वोट तो हमसे जाति के नाम पर लेते हैं और जब हमारे बच्चों को फांसी देने का कानून संसद में पास होता है तो अपने आकाओं को खुश करने के लिए टेंडर लेकर उनके दरबार में पहुँच जाते हैं और मंत्री पद की लाइन में अपना नाम लिखवा आते हैं
- पूरे देश में सभी सामाजिक मंचों पर सरकार की आरक्षण नीति का विरोध होता है परन्तु चुनाव आने पर हम अपने बच्चों के भविष्य को आरक्षण की भट्टी में झोंकने वालों को जाति और धर्म के नाम पर वोट देते हैं जो हमारी बर्बादी का मुख्य कारण है, आरक्षण का अंत करने प्रतिज्ञा-बद्ध होना होगा
- पिछले 70 वर्षों से जो राजनितिक दल हमारे बच्चों के भविष्य को आरक्षण के नाम पर अपने पैरों तले रोंदते आये हैं, यदि हम उनको वोट देते हैं तो निश्चित रूप से हम संतान द्रोही हैं और अपने बच्चों के हत्यारों की पार्टी को सत्ता में लाकर उनके हाथ में कुल्हाड़ी देकर अगले प्रहार हेतु आमंत्रित कर रहे हैं
- जातिगत आरक्षण का अंत करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध होकर हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल, बिहार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के चुनावो में कई आरक्षण विरोधी प्रत्यासी चुनाव मैदान में जानते हुए उतरे कि अपनी जमानत तक नहीं बचा पायेंगे क्योंकि उनमे से किसी के पास इतना धन, संसाधन नहीं थे जो अन्य दलों के पैसे की चकाचोंध के प्रचार का मुकाबला कर सके परन्तु उन्होंने अपने वर्ग के मतदाताओं को जागरूक बनाने, अपने हक़ की आवाज उठाने के लिए अपना धन और समय बर्बाद किया आरक्षण विरोधी पार्टी उन सभी क्रांतिवीरो का अभिनन्दन करती है जो विपरीत परिस्तिथियों में भी अपने देश और समाज को बचाने के लिए अपना समय और पैसा सिर्फ जाग्रति लाने के लिए बर्बाद करते हैं
- यह सर्वविदित है की जातिगत आरक्षण वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है इसलिए इसका अंत भी आरक्षण विरोधियों का अपना अलग वोट बैंक एकत्र करने पर ही संभव है आरक्षण के अंत हेतु अपने साथियों मित्रों और परिचितों को आरक्षण विरोधी पार्टी से जोड़ने के हर संभव प्रयास किये जाते रहे हैं साथ ही अनुरोध भी किया जाता रहा है कि यदि आप सक्षम हैं तो आरक्षण विरोधी पार्टी से चुनाव लड़ें विधान सभा या लोक सभा में पहुँच आरक्षण को अपने हाथों से मिटायें या प्रचार सामिग्री छपवाकर अपने क्षेत्र में बंटवाएँ जिससे अधिक से अधिक साथी आरक्षण मुक्त भारत अभियान से जुड़ सकें और मिशन कामयाबी की और बढे …….धन्यवाद्