Faridabad News, 02 Feb 2021 : जे.सी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद विभिन्न श्रेणी के दोपहिया वाहनों के रखरखाव एवं सर्विसिंग को लेकर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए टू-व्हीलर वाहन निर्माण की अग्रणी कंपनी रॉयल एनफील्ड के साथ समझौता किया है, जिसके अंतर्गत रॉयल एनफील्ड विश्वविद्यालय परिसर में एक अत्याधुनिक रॉयल एनफील्ड सर्विस ट्रेनिंग सेल (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) स्थापित करेगा। यह ट्रेनिंग सेल हरियाणा में कंपनी द्वारा स्थापित पहला केन्द्र होगा और इस सेंटर में रॉयल एनफील्ड के विशेषज्ञ तकनीशियन विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उपलब्ध रहेंगे।
विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग ने समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजकुमार, डीन इंस्टीट्यूशन्स प्रो. तिलक राज, डीन प्लेसमेंट, एलुमनाई एवं कॉर्पोरेट मामले प्रो. विक्रम सिंह और निदेशक इंडस्ट्री रिलेशन्स डॉ. रश्मि पोपली भी उपस्थित थीं। रॉयल एनफील्ड से उपभोक्ता अनुभव अनुभाग के अध्यक्ष अरिंदम चक्रवर्ती ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि यह समझौता मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ाने तथा उन्हें रोजगार के लिए तैयार करने में मदद करेगा। इससे विद्यार्थियों को विशिष्ट तकनीकी कौशल हासिल होगा तथा उद्योग-अकादमिक साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा। विद्यार्थी उद्योग में नवीनतम रुझानों से परिचित होंगे तथा उद्योग में भी कुशल इंजीनियर्स की जरूरत पूरी होगी।
रॉयल एनफील्ड के क्षेत्रीय प्रशिक्षक अभिषेक कुमार ने अवगत बताया कि इस प्रशिक्षण केंद्र से मैकेनिकल और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को लाभ होगा। वे रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल की रिपेयर, रखरखाव और ओवरहाल के वैज्ञानिक तौर-तरीकों से परिचित होंगे। इसके अलावा, विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के लिए नवीनतम ऑटोमोबाइल प्रौद्योगिकी पर प्रमाणन कार्यक्रम भी आयोजित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि रॉयल एनफील्ड को नवीनतम मॉडलों को लॉचिंग से पहले इस प्रशिक्षण सेंटर में रखा जायेगा ताकि विद्यार्थी नई तकनीकों से परिचित हो सके।
प्रो. राजकुमार ने समझौते को विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों का व्यावहारिक ज्ञान बढ़ेगा। उनकी रोजगार क्षमता विकसित होगी तथा उद्योग व अकादमी के बीच तकनीकी अनुभव एवं ज्ञान का अंतराल कम होगा।