Faridabad News : सड़क यातायात शिक्षा संस्थान (आईआरटीई) के कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट ने यातायात प्रबंधन में एशिया का पहला स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम मास्टर्स ऑफ साइंस (एमएससी) शुरू किया है। दो वर्ष के इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को यातायात एवं परिवहन प्रबंधन प्रणलियां संभालने तथा उन्हें डिजाइन करने के गुर सिखाए जाएंगे।
दो वर्ष का स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम परिवहन एवं यातायात इंजीनियरिंग, चालक प्रशिक्षण एवं फ्लीट प्रबंधन, सड़क सुरक्षा ऑडिट, सड़क दुर्घटना जांच (रोड क्रैश इन्वेस्टिगेशंस) , यातायात इंजीनियरिंग, फोरेंसिक इंजीनियरिंग, रोड असिस्ट फाइनैंसिंग और दुर्घटना के बाद प्रबंधन (पोस्ट-क्रैश मैनेजेंट) सिखाएगा।
सड़क यातायात शिक्षा संस्थान (आईआरटीई) के अध्यक्ष डॉ. रोहित बलूजा ने कहा, “भारत समेत पूरी दुनिया में यातायात की भीड़, सुरक्षा, शहरों में रहने लायक स्थिति, पर्यावरणीय प्रभाव एवं परिवहन परिचलान की प्रभावशीलता रोजमर्रा की समस्याएं हैं। परिवहन एवं यातायात प्रणालियों पर समुदाय को बेहतर आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय परिणाम देने का दबाव है, इसलिए इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम पेशेवरों की मांग बढ़ रही है।”
डॉ. बलूजा ने बताया, “आईआरटीई ने यातायात एवं परिवहन प्रबंधन के क्षेत्र में ‘श्रमबल क्षमता निर्माण’ की दिशा में पहला बड़ा कदम उठा लिया है। आईआरटीई के कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट द्वारा अगस्त, 2018 से आरंभ किए जा रहे यातायात प्रबंधन में दुनिया के पहले मास्टर्स ऑफ साइंस पाठ्यक्रम को हरियाणा सरकार और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) से मान्यता मिली है। पहले से कार्यरत प्रतिभागियों एवं दक्षिण पूर्व एशिया के छात्रों के लिए अधिकतम 30 सीटें हैं।
उन्होंने कहा, “यातायात प्रबंधन में मास्टर्स डिग्री कार्यक्रम सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में परिवहन नियोजन एवं नीति, परिहवन परिचालन, सार्वजनिक परिवहन, यातायात इंजीनियरिंग एवं प्रबंधन आदि में करियर के नए अवसरों के द्वार खोलेगी। यह डिग्री पाने वाले स्थानीय, राज्य एवं संघीय सरकार की एजेंसियों जैसे सड़क एवं परिवहन प्राधिकरणों, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के परिवहन ऑपरेटरों और स्थानीय एवं अंतरराष्ट्रीय परामर्श संस्थाओं में वरिष्ठ पेशेवरों के रूप में काम कर पाएंगे।
यह पाठ्यक्रम आरंभ करने का उद्देश्य आईआरटीई एवं संयुक्त राष्ट्र यूरोपीय आर्थिक आयोग के बीच हुए समझौते के अंतर्गत समूचे दक्षिण पूर्व एशिया में अन्य संस्थानों में ऐसे एमएससी पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देना है।
आईआरटीई के कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट ने फोरेंसिक विज्ञान में दो वर्ष का स्नातकोत्तर एमएससी डिग्री पाठ्यक्रम भी आरंभ किया है, जिसका उद्देश्य फोरेंसिक शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाना है। इससे वाहन दुर्घटनाओं की जांच में ही मदद नहीं मिलेगी बल्कि विभिन्न अपराधों की जांच में सहायता होगी और आगे जाकर वैज्ञानिक, तकनीकी एवं कानूनी सेवाओं की एकीकृत संस्था तैयार होगी। यह डिग्री भी महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू), रोहतक, हरियाणा से संबद्ध है।