Faridabad News : ग्राम भूपानी स्थित, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा देखने वसुन्धरा परिसर पहुँचे आज देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए नामी स्कूलों के माननीय प्रधानाचार्य व सहायक अध्यापकगण। कैंपस की अद्वितीय शोभा देखते ही पधारे सभी अतिथियों की आँखे खुली की खुली रह गई। उनका कहना था कि फरीदाबाद क्षेत्र में इतना सुन्दर दर्शनीय स्थल भी है जहाँ से मानवता का प्रसार होता है, इसकी उन्हें जानकारी न थी।
सबकी जानकारी हेत सतयुग दर्शन वसुन्धरा के मुरूय द्वार पर पहुँचने पर सभी सजनों का औपचारिक स्वागत करने के पश्चात्, इस स्थान के शा4िदक अर्थ से परिचित कराते हुए बताया गया कि सतयुग का अर्थ है आने वाला स्वर्णिम युग तथा दर्शन का अर्थ है साक्षात्कार यानि बोध व वसुन्धरा का अर्थ है धरा। इस प्रकार सतयुग दर्शन वसुन्धरा वह पावन धरा है जहाँ से आने वाले युग यानि सतयुग की संस्कृति का न केवल बोध कराया जाता है अपितु उस युग की नीति, रीति व आचार-संहिता को अपने दैनिक जीवन में ढाल कर एक अच्छा व नेक मानव बनने की युक्तिसंगत तालीम भी दी जाती है।
एक प्रध्यापक के पूछने पर कि समभाव-समदृष्टि के स्कूल का निर्माण करना क्यों आवश्यक समझा गया, मानवता विकास कल्ब के युवा बच्चों ने बताया कि आज हम इस सृष्टि के इतिहास के उस निर्णायक मूहुर्त में हैं जिसमें मानव जाति अपने नैतिक मूल्यों को खो रही है और विभिन्न आडमबरों, कर्मकांडो व मतों-विवादों, धर्मों आदि का शिकार हो, नाना प्रकार के दु:ख भोग रही है। विडमबना की बात यह है कि समाज की इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के सभी साक्षी है पर समाज को उत्थान की ओर ले जाने के विषय में कोई ठोस कदम व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक व वैश्विक स्तर पर नहीं उठाए जा रहे। ऐसे में विभिन्न कष्ट-कलेशो, तापो-संतापों आदि से घिरी मानव जाति को आत्मिक ज्ञान द्वारा आत्मोद्धार करने की स्वतंत्र युक्ति बताने हेतु ही इस समभाव-समदृष्टि के स्कूल का निर्माण करना आवश्यक समझा गया है ताकि आत्मबोध कर सबका ह्मदय कमल खिल उठे और सब के सब मानवता के सिद्धान्त को अपना सुख की साँस ले व एकता में आ शांति व आन्नद से जीवनयापन कर सके।
आगे उन युवा बच्चों ने बताया कि अपने इसी प्राथमिक उद्देश्य की पूर्ति के निमित्त ट्रस्ट व्यापक स्तर पर आयोजित अपनी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जन साधारण को शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक दु:खों से छुटकारा दिला उनमें चेतना का संचार कर रहा है। विगत तीन वर्षों में, स्कूली छात्रों में उच्च नैतिक मूल्यों की स्थापना द्वारा सदाचार का मार्ग प्रशस्त करने हेतु सतयुग दर्शन ट्रस्ट द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समभाव ओलमिपयाड इसका प्रमुख उदाहरण है। इस ओलमिपयाड परीक्षा द्वारा ट्रस्ट मानवता, सदाचार व नैतिक मूल्यों पर आधारित प्रश्नोत्तरी के माध्यम से बच्चों के अन्दर सपरिवार एक अच्छा मानव बनने के प्रति उत्साह जाग्रत करता है। सबकी जानकारी हेतु अभी तक लगभग तीस लाख से अधिक सजन ट्रस्ट की इस गतिविधि से लाभ उठा अपने जीवन को सही दिशानिर्देशन देने में दिलचस्पी से कार्यरत हैं। सभी शैक्षिणक बोर्डों ने भी ट्रस्ट के इस प्रयास की सराहना करते हुए इस शुभ कार्य में अपना सहयोग बढ़-चढ़ कर दिया है। अब तो बच्चों के साथ-साथ, समाज के सभी आयु वर्ग के सदस्यों को इस क्रिया के माध्यम से लाभान्वित कराने हेतु ट्रस्ट ने इस वर्ष से यह परीक्षा आनलाइन आयोजित कर दी है यानि देश-विदेश से कोई भी व्यक्ति इस परीक्षा को इंटरनेट के माध्यम से आसानी से दे सकता है। यही नहीं वेबसाइट humanityolympiad.org पर रजिस्ट्रशन करने वाले बाल-युवा, प्रौढ या वृद्ध अब सारा साल अपनी आद् संस्कृति के अनुकूल मानवीय नैतिक मूल्यों को जानने, धारण करने व आत्मसात् करने के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और घर बैठे बिठाए ही अपना जीवन बना सकते हैं। आगे उन बच्चों ने सामाजिक हित के इस कार्य को सिद्ध करने हेतु उपस्थित समस्त प्रधानाचार्यों व अध्यापकगणो से ट्रस्ट की विभिन्न गतिविधियों में सहयोगी बन, कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढऩे की अपील की और समपर्क में आने वाले प्रत्येक बच्चे व युवा सदस्यों को इस वेबसाइट humanityolympiad.org पर रजिस्टर कराने का निवेदन किया।
प्रतिउत्तर में सभी उपस्थित सदस्यों ने अपनी सहमति व्यक्त की और कहा कि सतयुग की पहचान व मानवता के स्वाभिमान के रूप में प्रसिद्ध यह एकता का प्रतीक च्च्समभाव-समदृष्टि का स्कूलज्ज् जो प्रत्येक मनुष्य को हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई जैसे धार्मिक भेद-भावों से उबर मनुष्यता में बने रहने का पाठ पढ़ाता है, बेमिसाल है। इस अवसर पर उपस्थित प्रधानचार्यों ने अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए यह भी कहा कि आज जो परिवार, स्कूल-कालेज व समाज इन बच्चों को नहीं दे पा रहा उसकी आवश्यकता पूर्ति्त इस स्थान से कर सतयुग दर्शन ट्रस्ट वास्तव में अच्छे समाज की परिकल्पना को साकार करने में अतुलनीय भूमिका निभा रहा है।
अंत में उन्होने कहा कि हम इस आत्मिक ज्ञान प्रदान करने वाले स्कूल के बारे में सभी को बताएंगे ताकि वे भी यहाँ से प्रदान की जाने वाली शिक्षा का लाभ उठा सकें और मानवता की शान बढ़ा सकें।