February 21, 2025

अग्रिम जमा राशि(ACD) के खिलाफ आंदोलन के लिए सेव फरीदाबाद तैयार : पारस भारद्वाज

0
9658744612949
Spread the love

फरीदाबाद : शहर के प्रमुख नागरिक संगठन सेव फरीदाबाद के संयोजक पारस भारद्वाज ने हरियाणा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि बिजली बिल में लग कर आ रही अग्रिम जमा राशि को या तो सरकार वापिस ले ले अन्यथा उनका संगठन हरियाणा सरकार के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खोलने के लिए तैयार है।

अग्रिम जमा राशि को जनता के ऊपर एक कुठाराघात बताते हुए उन्होंने इसको जनविरोधी और औचित्यहीन नीति बताया।
दरअसल 2020 में हरियाणा विद्युत् विनियामक आयोग (HERC) ने 2016 के अपने एक नियम का हवाला देते हुए हरियाणा के उपभोक्ताओं पर अग्रिम जमा राशि का अतिरिक्त बोझ डालने का आदेश दिया था।

इस नियम के हिसाब से उपभोक्ता के एक साल के बिजली के बिल को संख्या 12 से भाग कर के एक महीने का औसत बिल निकाला जाएगा। फिर इस बिल को संख्या 4 से गुणा करके दो चक्रों की देय राशि की गणना की जायेगी जो कि उपभोक्ता के बिजली बिल में जोड़ कर वसूली जायेगी।

पारस भारद्वाज का कहना है कि मीटर लगवाते समय पहले से ही सिक्योरिटी डिपाजिट के नाम पर बिजली विभाग उगाही करता है। अब चार महीने की अग्रिम राशि जमा करवाकर सरकार मध्यमवर्गीय व गरीब परिवारों की कमर तोडना चाहती है। मनोहर सरकार हरियाणा की जनता को चोर समझती है क्योंकि बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह राशि इसलिए इकठ्ठा की जा रही है जिससे कि यदि कोई उपभोक्ता बिजली का बिल बिना भरे शहर छोड़ के भाग जाता है तो बिजली विभाग का नुक्सान ना हो। दुःख और विस्मय की बात यह है कि आयोग ने 2016 में हरियाणा सभी विधायकों और सांसदों से इस नियम के खिलाफ आपत्ति दर्ज़ कराने के बाबत पत्र लिखा था जिसपर किसी भी जनप्रतिनिधि ने कोई आपत्ति दर्ज़ नहीं कराई।

बता दें कि इस नीति के खिलाफ सबसे पहला प्रदर्शन 4 अप्रैल 2021 को सेव फ़रीदाबाद संस्था के नेतृत्व में सैंकड़ों समाजसेवियों व आरडब्लुए ने लालटेन यात्रा निकाल कर किया था। जनता का रोष देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने इस शुल्क पर दो वर्ष के लिए रोक लगाते हुए कहा था कि दो वर्ष के बाद इसकी समीक्षा करेंगे जिसके बाद अनेक समाजसेवी संस्थाएं व उद्योग संगठन प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से भी मिले थे।

सेव फरीदाबाद संस्था सभी जनप्रतिनिधियों और सम्बंधित अधिकारियों को एक ज्ञापन देगी और यदि सुनवाई नहीं होती है तो मामले को न्यायालय ले कर जाएगी और ज़रुरत पड़ी तो जनप्रतिनिधियों का संवैधानिक तरीके से पुरजोर विरोध करेगी।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *