Faridabad News, 06 Dec 2018 : श्रीराम जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा तीन भागों में किया गया जन्मभूमि का विभाजन पूर्णतया जन भावनाओं के विरुद्ध था क्योंकि उसी निर्णय से सिद्ध हो गया था कि विवादित स्थान पर प्राचीन मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था। उक्त विचार आज फरीदाबाद में सेक्टर 12 स्थित कोर्ट परिसर में लॉयर्स फॉर नेशन द्वारा ‘श्रीराम जन्मभूमि वाद : तथ्य एवं कानून’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में दिल्ली उच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमती मोनिका अरोड़ा ने व्यक्त किये।
अधिवक्ताओं के मध्य आयोजित संगोष्ठी में श्रीमती मोनिका अरोड़ा ने बताया कि राम जन्मभूमि मामले में कुल चार केस फाइल किये गए थे। पहला केस 1950 में गोपाल सिंह विशारद द्वारा दायर किया गया था, दूसरा 1959 में निर्मोही अखाडा द्वारा, तीसरा 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा और चौथा केस 1986 में श्री रामलला की ओर से देवकीनंदन अग्रवाल द्वारा दायर किया गया था। पहले केस में वादी ने पूजा अर्चना की अनुमति मांगी थी जो कुछ ही समय में मान ली गयी थी। 30 अक्टूबर 2010 को आये चिर प्रतीक्षित फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्मोही अखाडा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को ख़ारिज कर दिया था। और श्री रामलला विजयी हुए थे। लेकिन न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि को तीनों पक्षों में बराबर बराबर बांट दिया। क्योंकि तीनों ही पक्ष निर्णय से खुश नहीं थे और तीनों ही पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के निर्णय में पुरातत्व विभाग द्वारा कराई गयी खुदाई से मिले मंदिर के अवशेष, 50 से अधिक खम्भे जिन पर अनेक हिन्दू धार्मिक आकृतियां अंकित थीं, महाकवि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम, अभिज्ञान शाकुंतलम, मेघदूत जैसी पुस्तकों के उल्लेख से यह प्रमाणित हो गया था कि विवादित भूमि पर मस्जिद से पहले मंदिर था।
श्रीमती अरोड़ा ने अधिवक्ताओं को आह्वान किया कि 9 दिसंबर को दिल्ली रामलीला मैदान में होने वाली विराट हिन्दू शंखनाद रैली में अधिक से अधिक अधिवक्ताओं की भागीदारी हो और हम सभी परिवार सहित रामलीला मैदान पहुंचेंगे।
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री संजीव उनियाल ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाबर द्वारा श्रीराम मंदिर को तोड़े जाने से लेकर अब तक 76 संघर्ष श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए हो चुके हैं। अनेक बार मुक्त कराया भी गया लेकिन विदेशी राजसत्ता के कारण पुनः उस पर बाबर समर्थकों का कब्जा होता रहा। वर्तमान में श्रीराम जन्मभूमि के लिए 77 वां संघर्ष जारी है और यह संघर्ष हमें हर हाल में जीतना है क्योंकि कानूनी पक्ष पूर्णतया श्री रामलला के पक्ष में है।
इस अवसर पर अधिवक्ता आत्मप्रकाश सेतिया एवं अधिवक्ता जीतसिंह भाटी ने राम जन्मभूमि से सम्बंधित ओजस्वी कविताओं के माध्यम से पूरे परिसर को राममय बना दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता दीपक ठुकराल ने मंच संचालन किया तथा अधिवक्ता परिषद् के अध्यक्ष पी के मित्तल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ एवं राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस अवसर पर जिला बार एसोसिएशन के प्रधान विवेक रावत, महासचिव जोगिन्दर नरवत, विश्व हिन्दू परिषद् के प्रान्त अध्यक्ष रमेश गुप्ता वरिष्ठ, अधिवक्ता अश्वनी त्रिखा, अधिवक्ता प्रकाश वीर नागर, अधिवक्ता कन्हैया लाल शर्मा, अधिवक्ता श्रीमती रंजना शर्मा, अधिवक्ता श्रीमती मीनाक्षी, अधिवक्ता श्रीमती रूचि गुप्ता, अधिवक्ता शिवदत्त वशिष्ठ, अधिवक्ता पी सी मस्ता आदि सहित सैकड़ों अधिवक्ता उपस्थित थे।