Faridabad News : श्री श्याम मंदिर (आदर्श नगर) प्रांगण में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन आज व्यास श्री दिनकर ने वर्णाश्रम धर्म पर गृहस्थाश्रम की माहिमा प्रतिपादित की। श्री व्यास ने गजेंद्र मोक्ष, समुन्द्र मंथन, देवासुर संग्राम एवं वामन अवतार आदि कथाओं के माध्यम से बताया कि प्रभु भक्ति के साथ-साथ समयानुसार स्वविवेक से निर्णय लेकर अपना कार्य प्रभु को समर्पित कर देना चाहिए, यही देवासुर संग्राम का प्रमुख सन्देश है। दैत्यराज बलि की कथा मनुष्य जीवन में दान की महिमा प्रतिपादित करती है। गुरु शुक्राचार्य के नाराज होने पर भी राजा बलि ने धर्म का पथ नहीं छोड़ा। गंगा अवतरण की कथा के माध्यम से श्री व्यास ने जगतोद्वारक पतित पावनि गंगा की महिमा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गंगा पवित्र करने वाली शाश्वत जीवन धारा है। हमें गंगा की पावनता को बनाये रखने के लिए आजीवन प्रयास करते रहना चाहिए। गंगा, गीता, गायत्री और गाय हर भारतीय की जीवनदायिनी शक्ति हैं।
श्री राम के सूर्यवंशी राजाओं की परम्परा पर चर्चा करते हुए डॉ. दिनकर ने श्री राम के पावन चरित्र पर प्रकाश डाला। राम जन्म से लेकर उनके विवाह, बनवास, सीता हरण, लंकादहन तथा राम-रावण युद्ध का संक्षिप्त वर्णन करते हुए राम कथा के राजयभिषेक के साथ-साथ राम राज्य की विशेषताएं बताईं। उन्होंने कहा कि राम कथा मानव जीवन के उच्च नैतिक मूल्यों की पराकाष्ठा हैं। राम सिर्फ हिन्दुओं के ही नहीं अपितु विश्व के आदर्श पुरुष हैं। इसलिए उनकी जीवन गाथा “रामायण” का विश्व की 78 भाषाओं में अनुवाद हुआ है। मॉरीशस, त्रिनदाद, सूरीनाम, नेपाल, थाईलैंड, कम्बोडिया, मयंमार और भूटान आदि देशों में आज भी रामलीलाएं आयोजित होती हैं। अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड आदि देशों के हिन्दू समुदाय भव्य राम कथाओं का आयोजन कर टेलीविजन पर लाइव प्रकाशित कराते हैं। महात्मा तुलसीदास और महात्मा गांधी ने तो एक राम नाम के सहारे ही दुनिया का पथ प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर मंदिर समिति के प्रधान रविंद्र गोस्वामी, जितेंद्र, कालीचरण गर्ग, राकेश शर्मा, इन्दरपाल, मृदुल दिनकर, मोहन श्याम, गिरिराज प्रसाद एवं योगेश शर्मा आदि मौजूद थे।