फरीदाबाद । श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू ने कहा कि क्लास रूम और इंडस्ट्री के बीच और बेहतर सामंजस्य बनाए जाने की आवश्यकता है। पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप बनाना होगा। सभी कोर्स नेशनल स्किल क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क के अनुसार तैयार करने अनिवार्य होंगे। वह मंगलवार को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्ट्रेटजी सम्मिट के समापन अवसर पर बोल रहे थे।
इस सम्मिट में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय द्वारा विजन डॉक्यूमेंट पर मंथन किया गया है। भविष्य में इसी के आधार पर स्किल एजुकेशन का प्रारूप विकसित होगा। विश्वविद्यालय के विभिन्न विशेषज्ञ इस विजन डॉक्यूमेंट को अमलीजामा पहनाएंगे। श्री विश्वकर्मा कौशल विद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू ने कहा कि कौशल शिक्षा की अवधारणा में व्यवहारिक परिवर्तन लाने होंगे। कौशल शिक्षा को भविष्य के लिए तैयार करना है तो ऑन द जॉब ट्रेनिंग को वरीयता देनी होगी। इस समिट में विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने टीचिंग मेथाडोलॉजी और परीक्षा से लेकर मूल्यांकन तक कई व्यवहारिक परिवर्तन लाने पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस मंथन के आधार पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेगा और फिर आने वाले कुछ सालों में इसी विजन डॉक्यूमेंट के आधार पर कौशल शिक्षा के मॉडल का क्रियान्वयन होगा। साथ ही साथ शिक्षण की आदर्श विधियां विकसित करने पर भी मंथन किया गया। इस समिट में बकायदा विशेषज्ञों ने शिक्षण के आयामों पर प्रतुतियां भी दी, ताकि उनकी उपयोगिता का आंकलन किया जा सके।
शिक्षकों के अलग-अलग समूहों ने विश्वविद्यालय के चारों संकाय द्वारा भविष्य में तैयार किए जाने वाले कोर्स पर भी मंथन किया। आने वाले समय में शॉर्ट टर्म कोर्स हो बढ़ावा दिया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार के साथ जोड़ा जा सके। यह शॉर्ट टर्म कोर्स इंडस्ट्री की जरूरतों के हिसाब से बनाए जाएंगे। सर्टिफिकेट कोर्स और शॉर्ट टर्म कोर्स करने के बाद युवाओं को सीधे इंडस्ट्री में भेजे जाने को लेकर भी की रणनीति तैयार की गई। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू ने कहा कि इससे इंडस्ट्री को प्रशिक्षित और कुशल माननीय संसाधन मिलेंगे उनका प्रशिक्षण में बर्बाद होने वाला समय और धन दोनों बचेंगे। कौशल शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षण संस्थानों को नवाचार के साथ आगे बढ़ना होगा और अन्वेषण ही उनकी प्राथमिकता में होना चाहिए।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने इस दौरान आए हुए अतिथियों का आभार ज्ञापित किया और कहा कि यह विजन डॉक्यूमेंट कौशल शिक्षा के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा। विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र और क्षमता निर्माण विभाग के डीन प्रोफेसर ऋषि पाल ने कहा कि 2 दिन तक किया गया यह चिंतन मंथन बेहतर परिणाम सामने लाएगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की डीन एकेडमिक प्रोफेसर ज्योति राणा, प्रो. सुरेश कुमार, प्रो. आशीष श्रीवास्तव, प्रो. रंजीत सिंह, प्रो. निर्मल सिंह, संयुक्त निदेशक अम्मार खान, विनीत सूरी, अंबिका पटियाल और संजय आनंद सहित काफी संख्या में शिक्षक व अधिकारी मौजूद थे।