Faridabad News, 14 Oct 2018 : नवरात्रों के पांचवे दिन सिद्धपीठ मां वैष्णोदेवी मंदिर में मां स्कंदमाता की भव्य पूजा की गई। पूजा का शुभारंभ मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने करवाया। इस अवसर पर हजारों भक्तों ने मां के जयकारों के बीच पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। प्रातकालीन आरती में मां के भजनों के बीच हवन यज्ञ में श्रद्धालुओं ने अपनी आहूति डाली।
इस अवसर पर भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण भी किया गया। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए भक्तों का स्वागत किया। पूजा अर्चना में पूर्व विधायक चंदर भाटिया, पूर्व पार्षद राजेश भाटिया, उद्योगपति आर के जैन, गुलशन भाटिया, हनुमान मंदिर के प्रधान राजेश भाटिया, उद्योगपति आर. के बत्तरा, सुरेंद्र गेरा एडवोकेट, कांशीराम, अनिल ग्रोवर, नरेश, रोहित, बलजीत भाटिया, अशोक नासवा, प्रीतम धमीजा, सागर कुमार, गिर्राजदत्त गौड़, फकीरचंद कथूरिया नेतराम एवं राजीव शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
पूजा अर्चना के उपरांत जगदीश भाटिया ने भक्तों को मां स्कंद माता की महिमा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। चार भुजाओं वाली मां दुर्गा के रूप के गोद में विराजमान होते हैं कुमार कार्तिकेय, इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता भी कहा जाता है।
मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने वाले माता के भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक मनाई जाएगी और 19 अक्टूबर को विजय दशमी होगी. श्री भाटिया ने बताया कि चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता के दो हाथों में कमल और एक हाथ में कुमार कार्तिकेय बैठे रहते हैं। कुमार कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति कहा जाता है। देवताओं के इसी सेनापति का एक नाम स्कंद भी है। इन्हीं स्कंद की माता हैं स्कंदमाता। शेर पर सवार, चार भुजाएं और गोद में कुमार कार्तिकेय, ये है स्कंदमाता का रूप, यह कमल पर भी विराजमान रहती हैं इसीलिए इन्हें पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है।
श्री भाटिया ने कहा कि मां स्कंदमाता का पूजन सफेद रंग के वस्त्र पहन कर करें और उन्हें मूंग के दाल के हलवे का भोग लगाए और प्रसाद में बांटे। मान्यता है कि स्कंदमाता रोगों से मुक्ति दिलाती हैं और घर में सुख शांति लाती हैं।