Faridabad/ Surajkund News : भारत में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए लकडी बहुत अहम है क्योंकि जब व्यक्ति पैदा होता है तो उसे लकडी से बनी चारपाई पर लेटाया जाता है और जब व्यक्ति मरता है तो भी उसे लकडी से बनी अर्थी पर ही लेटाया जाता है। कहने का भाव यह है कि व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक लकडी अपना पूरा रोल अदा करती है। लेकिन इसके अलावा भी लकडी को अन्य रूपों में देखा जा सकता है।
हरियाणा के जिला फरीदाबाद के सूरजकुण्ड में चल रहा 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड षिल्प मेला में वुड कार्विंग अर्थात लकडी पर नक्काषी के कई उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। इस बार मेले में थीम राज्य उत्तर प्रदेष के सहारनपुर से पधारे मोहम्मद अरसद ने छोटी चैपाल के पास वुड कार्विंग की कई नायाब वस्तुओं को सजाया है।
बचपन से ही लकडी के कारोबार से जुडे मोहम्मद अरसद ने बताया कि वे बचपन से ही लकडी के इस धंधे से जुडे हुए हैं और इस बार मेले में 10 रूपए से लेकर 2500 रूपए तक की विभिन्न वस्तुओं को यहां लाएं हैं, जिन्हें लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है। उनके स्टाल पर लकडी के नक्काषी किए हुए बाॅक्स, फ्रेम, टेª, पाॅट, घडियां, चम्मच, पैनल, छोटी अलमारी तथा अन्य वस्तुएं भी जैसे की चाबी के छल्ले इत्यादि भी लोगों को काफी पंसद आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि शुरूआत में मेला के दौरान खरीददारी धीमी गति से शुरू हुई थी परन्तु अब मेला में आने वाले लोगों की संख्या बढ रही है और इस बढती संख्या के साथ-साथ उनके स्टाल पर बिक्री भी बढ रही है। उनका कहना था कि उनके स्टाल पर हर प्रकार का उपभोक्ता आ रहा है चाहे वो महिला हो, युवा हो या कोई विदेषी हो। हर किसी को उनके स्टाल पर रखे हुए सामान पसंद आ रहे हैं। अरसद ने बताया कि उनके यहां ज्यादातर मिक्स आईटम की बिक्री हो रही है परन्तु इनमें अधिकतर टेबल और डिजाईनर स्टूल को ही पसंद किया जा रहा है क्योंकि ये दीर्घायु वस्तुए हैं। यदि इन्हें संभाल कर रखा जाए तो। अरसद ने बताया कि वे इन सामानों को तैयार करने के लिए षिषम और आम की लकडी का प्रयोग करते हैं।
अरसद के स्टाल पर खडे कुरूक्षेत्र से आए हुए नवजोत ने बताया कि उनके यहां भी गीता महोत्सव के दौरान मेला लगता है लेकिन जो षिल्पकार सूरजकुंड मेला में आते हैं वैसे षिल्पकार कुरूक्षेत्र में देखने को कम ही मिलते हैं। उनका कहना था कि यहां पर देष और विदेष के जाने माने षिल्पकारो का सामान देखने और खरीदने को मिल जाता है। इसी वजह से इस मेले में हर साल आते हैं।