फरीदाबाद, 18 जुलाई – जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने आज छात्रों से प्रकृति और पर्यावरण की निःस्वार्थ सेवा के लिए खुद को समर्पित करने तथा योग को अपनी जीवन शैली के रूप में अपनाने के लिए आह्वान किया।
प्रो. तोमर विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे पौधरोपण अभियान के तहत एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर योगाचार्य श्री सुनील गुप्ता मुख्य अतिथि रहे। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय द्वारा जुलाई माह को हरियाली पर्व के रूप में मनाया जा रहा है और इस अवसर को चिह्नित करते हुए वृक्षारोपण अभियान शुरू किया गया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों को वृक्षारोपण अभियान में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय आगमन पर प्रो. तोमर ने श्री सुनील गुप्ता को एक पौधा भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. एस.के. गर्ग, डीन (कॉलेज) प्रो. तिलक राज, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो लखविंदर सिंह, पर्यावरण इंजीनियरिंग की अध्यक्ष (प्रभारी) डॉ रेणुका गुप्ता, और डीएसडब्ल्यू कार्यालय एवं वसुंधरा ईसीओ क्लब के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। श्री सुनील गुप्ता ने पौधरोपण अभियान में हिस्सा लिया और ने विश्वविद्यालय के मुख्य मैदान पर बेल का पौधा भी लगाया।
योगाचार्य श्री सुनील गुप्ता ने अपने योग ज्ञान के माध्यम से कोरोना महामारी के दौरान लोगों की मदद और मार्गदर्शन करने में अहम भूमिका निभाई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री गुप्ता ने विश्वविद्यालय के पौधारोपण अभियान की सराहना की तथा कहा कि योग अभ्यास मन, शरीर और आसपास के वातावरण के बीच जुड़ाव की भावना पैदा करता है, जो मनुष्य, पशु-पक्षी, प्रकृति और धरती के प्रति संवेदनशीला के व्यवहार को प्रोत्साहित करता है और दूसरों के प्रति कार्य करने को प्रेरित करता है। उन्होंने छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में निःशुल्क योग सत्र आयोजित करने की पेशकश भी की।
इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो. तोमर ने विद्यार्थियों के लिए निःस्वार्थ योग सेवा की पेशकश करने पर योगाचार्य का आभार व्यक्त किया और कहा कि योग केवल एक अभ्यास नहीं है बल्कि यह हमारी भारतीय संस्कृति का अटूट हिस्सा है जो दुनिया में सबसे बेहतरीन है। उन्होंने कहा कि योग के अनेक लाभ है, लेकिन सबसे अच्छा लाभ यह है कि योगाभ्यास शरीर और मन के बीच सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है जिससे हमें अपने आस-पास की दुनिया, विशेष रूप से प्रकृति और पर्यावरण के साथ अधिक जुड़ाव महसूस करने में मदद मिलती है।