राष्ट्रीय वेबसंगोष्ठि का सफल आयोजन

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Faridabad News, 26 August 2021 : पंडित जवाहरलाल नेहरु राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, फरीदाबाद द्वारा आज 26.08.21को एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबगोष्ठी का आयोजन ” वैश्विक पटल पर हिंदी भाषा और साहित्य” विषय पर किया गया । इस कार्यक्रम के संरक्षक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एम के गुप्ता जी थे । वेबगोष्ठी की संयोजक हिंदी विभाग की अध्यक्षा डॉ प्रतिभा चौहान थीं। संगोष्ठी सचिव महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक अमृता श्री थीं । इस वेबगोष्ठी के आयोजन समिति में तकनीकी सचिव डॉ पूनम अहलावत, चारु मिडा ,ड़ॉ पूनम,ईशा भाटिया, रिचा गोयल रहें।

राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आरम्भ प्राचार्य ड़ॉ एम के गुप्ता जी के शुभांकाक्षी कथन से हुआ जिस में उन्होनें कहा कि हिन्दी आज तकनीकी से युक्त हो कर व्यवसाय , वाणिज्य की भाषा बनने की राह पर है । संगोष्ठी में आमंत्रित अध्यक्ष व वक्ता देश के अलग-अलग संस्थानों से आये थे । डॉ नवीन चंद्र लोहनी, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ प्रथम सत्र के वक्ता थे। डॉ कामराज सिंधु , अध्यक्ष, हिंदी विभाग, दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय , कुरुक्षेत्र द्वितीय सत्र के वक्ता थे । प्रो रमा , हँसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राचार्या तृतीय सत्र की वक्ता थीं । डॉ आशीष कंधवे जी, गगनांचल पत्रिका, आई सी सी आर, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के संपादक और डॉ राकेश बी दुबे जी माननीय राष्ट्र्पति के हिंदी ओएसडी चतुर्थ सत्र के वक्ता थे ।
वेबगोष्ठी में करीब 370 रजिस्टरेशन हुए और देश के विभिन्न विश्वविध्यालयों, महविद्ध्यालयों से प्रतिभागिता रही और करीब 35 प्रोफेसर व शोधार्थियॉँ ने शोध-पत्र प्रस्तुत किये। संगोष्ठी में हिन्दी भाषा की स्थिति, संभावनाओं व चुनौतियों पर विचार करते हुए कहा की हिन्दी मे जितना अधिक लेखन, अनुवाद कार्य, शोध कार्य होगा उतना ही हिन्दी का विश्वव्यापी रुप निखरेगा।ड़ॉ कामराज सिन्धु ने कहा कि हिन्दी बाजार की भाषा से 21वी सदी की भाषा बनने के लिये प्रतिबद्ध हैं।ड़ॉ आशीष कन्धवे जी ने कहा कि हिन्दी का वैश्विक प्रभुत्व स्थापित करने के लिये हमें क्षेत्रीयता से ऊपर उठकर राष्ट्रीय बोध से युक्त होना होगा।डॉ राकेश दुबे ने अपने वक्तव्य में हिन्दी को प्रथा भाषा बनाने की बात कही और कहा की देश की चौखट पर सजी हिन्दी ही विश्व की हिन्दी हो सकती जब भारत विश्व शक्तियों में एक होगा और हिन्दी उस की अभिव्यक्ति होगी।

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