Faridabad News, 14 Feb 2020 : वैसे तो जूतिया आपने बहुत देखी होगी लेकिन अशरफ हसन के परिवार ने जूतियों के क्षेत्र में जिन सतरंगी कल्पनाओं को मूर्त रूप दिया है उसके लिए उन्हे कई बार राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। हम बात कर रहे है 34वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में जोधपुरिया जूतिया की स्टाल नंबर 1035 की, जिस पर दिनभर जोधपुरियां जूतियां लेने वाले पर्यटकों का तांता लगा रहता है। अशरफ हसन सूरजकुंड मेले में पिछले 20 सालों से लगातार आ रहे हैं और रंग बिरंगी, मजबूत तथा आकर्षक डिजायनों से बनाई गई जूतियों के लिए जाने जाते हैं।
अशरफ हसन बताते हैं कि सूरजकुंड मेले में आने से पहले ही पर्यटक उनसे फोन कर स्टाल नंबर पूछते है और बेस्रबी से इंतजार करते हैं। उन्होंने कहा कि हम भी पर्यटकों को निराश नहीं करते और आकर्षण रंगों, डिजायन के साथ रेट का भी विशेष ध्यान रखते है। अशरफ ने बताया कि जूतियां बनाने का उनका पुशतैनी कार्य है जो पिछली चार पीढियों से चला आ रहा है। दुनिया भर में कई देशों में आयोजित प्रदशिनियों में भाग ले चुके हैं और राज्य तथा राष्टï्रीय स्तर कई बार सम्मानित भी हो चुके है। वर्ष 2005 तथा 2011 में टैक्सटाइल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा शिलगुरू अवार्ड से सम्मानित किए जा चुके है और गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुके हैं। उनके स्टाल पर महिलाओं की डिजायनदार जूतियों के साथ साथ बच्चो व पुरूषों के लिए भी जूतियां उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि जोधपूरियां जूतियों की खास बात यह है कि इसमे राइट व लेफ्ट नहीं होता और पर्यटक इस बदल बदल कर पहन सकते है। बदल कर पहनने से न केवल जूतियों की मजबूती बढ़ती है बल्कि खूबसूरती में निखार आता है।
अशरफ हसन बताते है कि उन्होंने दूनिया में सबसे छोटी जूती बनाई जिसे वे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड के लिए भेजेंगे।