Faridabad News, 24 March 2019 : राजकीय आदर्श वरिष्ठ माद्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा में विश्व टी बी दिवस पर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से जूनियर रेड क्रॉस व सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड अधिकारी रविन्दर कुमार मनचन्दा ने प्राचार्या नीलम कौशिक की अध्यक्षता में विश्व क्षय रोग दिवस पर टी बी के लक्षण और प्रकार बता कर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।रविन्दर कुमार मनचन्दा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार विश्व में 2 अरब से ज्यादा लोगों को लेटेंट टीबी संक्रमण है। सक्रिय टीबी की बात की जाए तो इस अवस्था में टीबी का जीवाणु शरीर में सक्रिय अवस्था में रहता है तथा यह स्थिति व्यक्ति को बीमार बनाती है। सक्रिय टीबी का मरीज दूसरे स्वस्थ व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकता है इसलिए सक्रिय टीबी के मरीज को अपने मुंह पर मास्क या कपड़ा लगाकर बात करनी चाहिए और मुंह पर हाथ रखकर खांसना और छींकना चाहिए। लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना, खांसी के साथ खून का आना, छाती में दर्द और सांस का फूलना, वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना, शाम को बुखार का आना और ठंड लगना, रात में पसीना आना आदि टी बी के लक्षण है। जब टीबी का जीवाणु फेफड़ों को संक्रमित करता है तो वह पल्मोनरी टी बी कहलाता है। टीबी का बैक्टीरिया 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में फेफड़ों को प्रभावित करता है। अन्य लक्षणों में आमतौर पर सीने में दर्द और लंबे समय तक खांसी व बलगम होना शामिल हो सकते हैं। कभी-कभी पल्मोनरी टीबी से संक्रमित लोगों की खांसी के साथ थोड़ी मात्रा में खून भी आ जाता है। लगभग 25 प्रतिशत ज्यादा मामलों में किसी भी तरह के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। टीबी एक पुरानी बीमारी है और फेफड़ों के ऊपरी भागों में व्यापक घाव पैदा कर सकती है। मनचन्दा ने बताया कि इसके अलावा टीबी का जीवाणु कंठ नली को भी प्रभावित करता है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी का जीवाणु फेफड़ों की जगह शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है एक्स्ट्रा पल्मोनरी टी बी पल्मोनरी टीबी के साथ भी हो सकती है। अधिकतर मामलों में संक्रमण फेफड़ों से बाहर भी फैल जाता है और शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित करता है जिसके कारण फेफड़ों के अलावा अन्य प्रकार की टीबी हो जाती है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी अधिकतर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और छोटे बच्चों में अधिक होती है एचआईवी से पीड़ित लोगों में एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में पाई जाती है। जीवाणु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने के अलावा भी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर विभिन्न प्रकार की एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी करता है मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी में फर्स्ट लाइन ड्रग्स का टीबी के जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस पर कोई असर नहीं होता है। अगर टीबी का मरीज नियमित रूप से टीबी की दवाई नहीं लेता है या मरीज द्वारा जब गलत तरीके से टीबी की दवा ली जाती है और या फिर टीबी का रोगी बीच में ही टीबी के कोर्स को छोड़ देता है यहाँ तक कि यदि टीबी के मामले में अगर एक दिन भी दवा खानी छूट जाती है तब भी खतरा होता है, तो रोगी को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी हो सकती है। इसलिए टीबी के रोगी को डॉक्टर के दिशा-निर्देश में नियमित टीबी की दवाओं का सेवन करना चाहिए। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी और एक्सटेनसिवली ड्रग रेजिस्टेंस टीबी- इस प्रकार की टीबी मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी से भी ज्यादा घातक होती है। रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने आगे बताया कि डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दुनिया के सभी देश अगर सही तरीके से टीबी का इलाज होता रहे तो वर्ष 2030 तक इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध पोस्टर और बच्चों द्वारा बनाई गई पेटिंग से टी बी नही है लाइलाज का संदेश दिया। प्राचार्या नीलम कौशिक ने जूनियर रेड क्रॉस और सेंट जॉन एम्बुलैंस ब्रिगेड की टी बी उन्मूलन के प्रयासों में और भी सहयोग देने की अपील की।