Surajkund News/ Sunny Dutta : फरीदाबाद के सूरजकुंड में चल रहे 32वें अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में विभिन्न राज्यों की कला-संस्कृति और हस्तशिल्प ही नहीं, जायका भी लोगों को खूब भा रहा है। आमतौर पर फास्ट फूड पसंद करने वाले लोग यहां विभिन्न राज्यों के देसी व्यंजनों का चटखारा लेते दिखाई पड़ते हैं। हालांकि इन व्यंजनों की दरें भी कम नहीं हैं, लेकिन तब भी स्वाद जेब पर भारी पर पड़ रहा है। 32वें अंतर्राष्ट्रीय षिल्प मेले में सभी फूड कोर्ट में यूं तो तमाम तरह के वेज और नॉन वेज व्यंजन उपलब्ध हैं, लेकिन दर्शकों की पहली पसंद विभिन्न राज्यों की पहचान देसी व्यंजन ही बन रहे हैं।
मेला दर्शकों में चाउमीन, बर्गर, फ्राइड राइस, मंचूरियन, सैंडविच और मोमोज इत्यादि का बहुत क्रेज नजर नहीं आता जबकि बिहार का लोकप्रिय लिट्टी चोखा और अनारसा दर्शकों के खूब मन भा रहा है। मेले में 80-100 रुपये में उपलब्ध ये व्यंजन जेब भी हल्की नहीं करते हैं। विक्रेता देवेंद्र सिंह बताते हैं कि दिल्ली में बिहार के लोगों की बढ़ती संख्या कहें या इन व्यंजनों का स्वाद, लेकिन वे सात साल से मेले में स्टॉल लगा रहे हैं। हर साल मेला घूमने आने वालों का रिस्पांस पहले से ज्यादा मिलता है।
पंजाब की पहचान मक्के की रोटी और सरसों का साग भी दिल्ली वालों के मन भा रहा है। सफेद मक्खन के साथ लोग इसके भी खूब चटखारे ले रहे हैं। इसी तरह राजस्थानी व्यंजनों में बाजरे की रोटी और सांगरे की सब्जी, जोधपुरी मावा कचैरी, प्याज कचैरी, चूरमा बाटी और कुल्हड़ की केसरिया चाय भी लोग खूब पसंद कर रहे हैं। उत्तर भारतीय व्यंजनों में छोले भठूरे और नान एवं दाल मक्खनी भी पसंद की जा रही है। हालांकि इन सब व्यंजनों की दर 120 से 150 रुपये तक है, मगर फिर भी स्वाद के शौकीनों की भीड़ देखते ही बनती है।